
बेंगलूरु। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के महात्वाकांक्षी चंद्रयान-2 को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता बनी हुई है। भले ही अब तक विक्रम लैंडर से इसरो का संपर्क ना हो पाया हो, लेकिन शुक्रवार रात इसरो ने ट्वीट कर एक अपने महात्वाकांक्षी मंगलयान अभियान को लेकर जानकारी दी। मंगलयान ने बीते 24 सितंबर 2019 को मंगल की कक्षा में पांच वर्ष पूरे कर लिए। इस मौके पर इसरो ने मार्स ऑर्बिटर मिशन से जुड़े चौथे साल के आंकड़े पेश किए।
इसरो ने मार्स ऑर्बिटर मिशन के चौथे साल का डाटा केवल रजिस्टर्ड यूजर्स के लिए ही आईएसएसडीसी वेबसाइट पर जारी किए। अपने ट्वीट में इसरो ने लिखा, "मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) ने अपनी कक्षा (ऑर्बिट) में 24 सितंबर 2019 को पांच साल पूरे कर लिए। इसे देखते हुए MOM के चौथे साल (24 सितंबर 2017 से लेकर 24 सितंबर 2018) तक का डाटा रजिस्टर्ड यूजर्स के लिए आईएसएसडीसी वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है।"
गौरतलब है कि पांच साल पहले 5 नवंबर 2013 को मार्स ऑर्बिटर मिशन को लॉन्च किया गया था। इसके बाद 10 माह से भी ज्यादा वक्त में 66.6 करोड़ किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी यात्रा करके 24 सितंबर 2014 को मंगलयान ने मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था।
मंगलयान में पांच उपकरण लगे हुए हैं। इनमें मीथेन या मार्श गैस को भांपने वाला सेंसर, एक रंगीन कैमरा, मंगल ग्रह की सतह को मापने और वहां मौजूद खनिजों का पता लगाने के लिए थर्मल इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर लगा हुआ है।
वर्ष 2014 में टाइम मैग्जीन ने MOM को उस वर्ष के 25 इन्नोवेशंस में शामिल किया था। इसमें बताया गया था कि यह भारत की एक तकनीकी उपलब्धि है जो देश को अंतरिक्ष के ग्रहों तक पहुंचने में मददगार है।
मंगल ग्रह की पांच वर्ष तक परिक्रमा करने के दौरान मार्स ऑर्बिटर ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। 1350 किलोग्राम वजनी इस मंगलयान ने मंगल ग्रह के पश्चिम से पूर्व की ओर परिक्रमा करने के दौरान दो चंद्रमा (फोबोस) की तस्वीरें लीं। इसके साथ ही इसने मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में आने वाले धूल भरे तूफान जैसी घटनाओं को कैमरे में कैद किया।
मंगलयान ने मंगल ग्रह की फुलडिस्क इमेज भी ली, जिसमें एलीसियम नजर आता है। एलीसियम प्राकृतिक उपग्रह पर दूसरा सबसे बड़ा ज्वालामुखी वाला हिस्सा है।
यहां पर यह बताना जरूरी है कि मंगलयान एक ऐसा अभियान था जिसने भारत को दुनिया का पहला ऐसा देश बना दिया, जिसने पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल के लिए अभियान लॉन्च किया। करीब 450 करोड़ रुपये कीमत वाला मंगलयान दुनिया का सबसे कम कीमत में ग्रहों के बीच भेजा जाने वाला पहला अभियान था। इसरो ने केवल 15 माह के वक्त में यह उपलब्धि हासिल की थी।
Updated on:
12 Oct 2019 12:16 pm
Published on:
11 Oct 2019 11:23 pm
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