सिसोदिया बोले- दिल्ली को सही दृष्टिकोण, कौशल विकसित करने वाली शिक्षा प्रणाली चाहिए।
दिल्ली सरकार अपना विशिष्ट शिक्षा बोर्ड लाने की तैयारियों में जुटी, दूसरी समीक्षा बैठक संपन्न।
अगले शैक्षिक सत्र तक 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम पेश करने की समय-सीमा तय।
Manish Sisodia tells which type of education system needed in Delhi
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के अपने विशिष्ट शिक्षा बोर्ड और नए पाठ्यक्रम के गठन की योजना और रूपरेखा तैयार कर रही समितियों की दूसरी संयुक्त समीक्षा बैठक शनिवार को आयोजित की गई। इस मौके पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “हमें निर्धारित समयसीमा को सख्ती से लागू किए जाने की जरूरत है, ताकि अगले शैक्षणिक सत्र तक 14 साल तक के बच्चों के लिए नया पाठ्यक्रम शुरू किया जा सके।”
प्रदेश सरकार ने दिया आजादी का तोहफा, बड़ा कदम उठाते हुए निजी स्कूलों की फीस में कर दी एक चौथाई कटौती दरअसल, दिल्ली सरकार ने वार्षिक बजट 2020-21 में पाठ्यचर्या सुधार और दिल्ली के लिए एक नया शिक्षा बोर्ड बनाने की अपनी योजनाओं की घोषणा की है। दिल्ली सरकार की इन समितियों में देश के विभिन्न हिस्सों से सरकारी एजेंसियों और शिक्षा-आधारित संगठनों के मशहूर शिक्षा विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। समीक्षा बैठक के दौरान इन सदस्यों ने अपने काम की प्रगति रिपोर्ट साझा की।
समीक्षा बैठक में सिसोदिया ने कहा, “हमें अगले चरण के लिए दृष्टिकोण-कौशल-तत्परता के आधार पर एक रूपरेखा पेश करने की जरूरत है। अगर हम केवल तत्परता वाले हिस्से पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो रवैया और कौशल पीछे छूट जाएंगे और शिक्षा का आधा उद्देश्य ही पूरा होगा।”
दिल्ली सरकार चाहती है कि राजधानी की शिक्षा प्रणाली छात्रों में उन सपनों को देखने की प्रवृत्ति पैदा करे जो बड़े, सच्चे, ईमानदार, खुशहाल और महत्वपूर्ण सोच वाले हों। छात्रों को खुशी और जिम्मेदारी से जीवन जीने के लिए तैयार करने के लिए स्कूल में सीखना बेहद महत्वपूर्ण होता है। दिल्ली के स्कूलों में छात्रों को सुनने, पूछने, चीजें करने, व्यक्त करने आदि का पूरा अभ्यास कराया जाएगा।
राजधानी के स्कूलों के लिए लॉन्च होगा दिल्ली का एजुकेशन बोर्ड, किसे मिलेगी संबद्धता और क्या होगी खूबियां सिसोदिया ने बताया, “गणित का मकसद छात्रों को तार्किक रूप से सोचने में मदद करने वाला होना चाहिए लेकिन वास्तव में, गणित वर्ग मुख्य रूप से सूत्र सीखने और समीकरणों को हल करने के बारे में बतता है। मौजूदा सीखने की प्रक्रिया और सीखने के परिणामों के बीच गलत तालमेल है। हमें यह निर्धारित करने की जरूरत है कि अगले चरण के लिए एक 6, 8, 11 और 14 वर्षीय बच्चे के पास रवैया, कौशल और तत्परता होनी चाहिए। हर स्तर पर सीखने के परिणामों का एक न्यूनतम सेट होना चाहिए, जिसे हमारी शिक्षा प्रणाली को लक्ष्य बनाना चाहिए।”
दिल्ली में शिक्षकों को टैबलेट दिए गए हैं। आगे जाकर स्कूलों को डिजिटल रूप से सक्षम बनाने के लिए इसका निरंतर मूल्यांकन होगा। एक बार योजना लागू होने के बाद, एससीईआरटी दिल्ली इन दो समितियों के मार्गदर्शन के साथ शिक्षकों की सामग्री और व्यापक प्रशिक्षण तैयार करने पर पूरा ध्यान केंद्रित करेगी।