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ISRO पर Corona Effect: चंद्रयान-3 समेत कई प्रोजेक्ट अटके

अब ISRO पर भी पड़ा Corona Effect ISRO के आदित्या LI प्रोजेक्ट समेत 2020 के कई प्रोजेक्ट में हो सकती है देरी Mission Chandrayaan-3 को भी ISRO ने किया Hold

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Corona Effect on isro

इसरो पर भी पड़ा कोरोना का साया, इस वर्ष कई प्रोेजेक्ट्स में हो सकती है देरी

नई दिल्ली। पूरा देश इस वक्त कोरोना वायरस ( coronavirus ) के संकट के जूझ रहा है। कोरोना का असर कारोबार जगत से लेकर कई क्षेत्रों पर पड़ा है। कोरोना के इफेक्ट से भारतीय अनुसंधान रिसर्च सेंटर ( ISRO ) भी अछूता नहीं है। अंतरिक्ष के क्षेत्र ने नए कीर्तिमान रच रहे इसरो के लिए वर्ष 2020 काफी महत्वपूर्ण था। लेकिन कोरोना के चलते इसरो ने अपने महत्वपूर्ण मिशन पर अब तलवार लटक रही है। गगनयान ( Mission Gaganyaan ) को रद्द करने के साथ ही अब इसरो के सामने वर्ष 2020 में कई अन्य मिशन भी अटक रहे हैं।

GiSAT-1 पहले ही हो चुका स्थगित
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ( ISRO Chief K siwan ) के मुताबिक 'वर्तमान परिस्थितियों के साथ, इस वर्ष मानव रहित उड़ान संभव नहीं हो सकती है। हम लगभग पांच से छह मिशनों की योजना बना रहे हैं, जिसमें GiSAT-1 भी शामिल है जिसका प्रक्षेपण इस साल की शुरुआत में स्थगित कर दिया गया था। कौन-कौन से मिशन इनमें शामिल हैं उसका विवरण जल्द ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा।

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इन मिशन पर पड़ेगा असर
इसरो प्रमुख के सिवन के मुताबिक वर्ष 2020 में इसरो का लक्ष्य हमारा लक्ष्य 10 सैटलाइट मिशन लॉन्च करने का था। इनमें अडवांस्ड कम्युनिकेशन सैटलाइट जीसैट1 और जीसैट12R और पृथ्वी का निरीक्षण करनेवाले रीसैट 2BR2 और सर्विलांस के लिए माइक्रोसैट शामिल हैं। लेकिन अब कोरोना वायरस के चलते इनमें कुछ प्रोजेक्ट्स पर सीधा असर पड़ सकता है।

आदित्य L1 पर भी असर
वहीं इसरो इस वर्ष के मध्य यानी जुलाई अगस्तक तक ही आदित्य L1 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी में था। लेकिन कोरोना के चलते इस पर असर पड़ता दिखाई दे रहा है।

आदित्य L1 मिशन देश का पहला सोलर मिशन
इसरो की नजर अब सूर्य तक पहुंचने की है। यही वजह है कि इस वर्ष के मध्य में ही इसरो अपने महत्वाकांशी प्रोजेक्टों में शुमार आदित्य L1 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी में था।

आपको बता दें कि ये देश का पहला सोलर मिशन होगा। इसरो प्रमुख के मुताबिक, 'एक पीएसएलवी का प्रयोग स्पेसक्राफ्ट का भार वहन करने के लिए होगा। इस पर काम अभी जारी है।'

इसरो चीफ ने इस मिशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया, '400 किग्रा. के क्लास सैटलाइट में छह वैज्ञानिक पेलोड्स भी होंगे। इन 6 पेलोड्स का काम होगा ऑर्बिट के दायरे में आनेवाले प्रभावी क्षेत्र के शुरुआती पॉइंट 1 (L1) तक पहुंचना। यह आर्बिट पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी. की दूरी पर है। इसका फायदा होगा कि बिना किसी बाधा के सूर्य को लगातार देखा जा सकेगा।