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पत्नी के शरीर को अपनी संपत्ति समझना वैवाहिक बलात्कार, तलाक का ठोस आधार: केरल हाई कोर्ट

केरल हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी सम्पत्ति समझना और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है।

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नई दिल्ली। पति-पत्नी के रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते रहते है। कई बार दोनों के बीच तलाक की नौबत तक आ जाती है। पति और पत्नी के तलाक के कई मामले मे अपने पढ़े और सुने होंगे। केरल हाई कोर्ट ने तलाक को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी सम्पत्ति समझना और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही मैरिटल रेप के मामले में सजा देने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, लेकिन इस आधार पर तलाक का दावा किया जा सकता है। कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका स्वीकार करने वाले पारिवारिक न्यायालय के फैसले के खिलाफ पति की अपील खारिज कर दी।


मैरिटल रेप आधार का तलाक
न्यायमूर्ति ए. मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहा कि शादी और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत होने चाहिए। देश के विवाह कानून को फिर से बनाने का समय आ गया है। दो जजों बेंच ने कहा कि पत्नी के प्रति पति का अनैतिक व्यवहार और उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंधों के लिए जोर देना मैरिटल रेप ही है। इसके लिए भले कानूनी रूप से सजा देने का प्रावधान नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि वैवाहिक बलात्कार तलाक का दावा करने का ठोस आधार है।

अप्राकृतिक यौन संबंध और बेटी सामने भी किया मजबूर
फैमिली कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पति ने अपनी पत्नी के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया है। पत्नी का कहना है कि अप्राकृतिक यौन संबंध और उसकी बेटी के सामने भी पति ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। जिस दिन महिला की मां का निधन हुआ था उस दिन भी पति ने संबंध के लिए मजबूर किया था।

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शादी बचाने के लिए उत्पीड़न सहा
साल 1995 में इस दंपत्ति की शादी हुई और उनके दो बच्चे हैं। पेशे से डॉक्टर पति ने शादी के समय अपनी पत्नी के पिता से सोने के 501 सिक्के, एक कार और एक फ्लैट लिया किया था। इतना ही नहीं रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित महिला ने कोर्ट के सामने कहा कि डॉक्टर से रियल एस्टेट कारोबारी बने उसके पति ने रियल एस्टेट के कारोबार के लिए उसके ऊपर पैसे देने का दबाव बनाया। जिसके बाद पीड़िता के पिता ने उसके पति को 77 लाख रुपए दिए। इसके बावजूद पत्नी ने विवाह की खातिर उत्पीड़न को सहन किया, लेकिन जब उत्पीड़न और क्रूरता बर्दाश्त बढ़ती गई तो तलाक के लिए याचिका दायर की।


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