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#MeToo: यौन उत्पीड़न केस में हाईकोर्ट का आदेश, फेसबुक-ट्विटर से हटाई जाएं सारी पोस्ट्स

सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo कैंपेन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी मीडिया प्लैटफॉर्म पर इस मुद्दे को लेकर टिप्पणी करना लोगों की पहचान सार्वजनिक करना गलत है।

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Mohit sharma

Oct 12, 2018

delhi high court

#MeToo कैंपेन पर हाईकोर्ट सख्त कहा: फेसबुक-ट्विटर से हटाई जाएं सारी पोस्ट्स

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo कैंपेन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि किसी भी मीडिया प्लैटफॉर्म पर इस मुद्दे को लेकर टिप्पणी करना व लोगों की पहचान सार्वजनिक करना गलत है। दरअसल, एक महिला पत्रकार ने एक वेब पोर्टल के कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इस मामले में कोर्ट ने सोशल मीडिया या अन्य किसी पब्लिक प्लैटफॉर्म पर कथित घटना की जानकारी सार्वजनिक न करने को लेकर बंदिश लगा दी है। मुख्य न्यायधीश राजेद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की बेंच ने आॅपन कोर्ट में शिकायतकर्ता और यौन शोषण के आरोपियों को एक अंतरिम आदेश दिया है। अपने आदेश में कोर्ट ने इस मुद्दे या शामिल लोगों के नाम सार्वजनिक न करने की बात कही।

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आपको बता दें कि इस मामले में अदालत ने 7 नवंबर 2017 को भी एक फैसला सुनाया था। इस फैसले में याचिकाकर्ता और मामले में शामिल अन्य लोगों की पहचान सार्वजनिक न करने को कहा गया था। हालांकि, कोर्ट में दाखिल एक नई याचिका में कर्मचारियों की ओर से दावा किया गया था कि महिला ने #MeToo कैंपेन के तहत टि्वटर और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर घटना के साथ-साथ इसमें शामिल तथाकथित लोगों लोगों के नाम भी उजागर कर दिए हैं।

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कोर्ट ने की बेंच ने कहा कि इस मामले में किसी भी पक्ष को मीडिया में कोई जानकारी नहीं देनी चाहिए। क्योंकि इस मामले पर प्रसारण करने या सोशल मीडिया पर लिखने पर बंदिश लगाई गई हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने टि्वटर या फेसबुक समेत सभी सोशल नेटवर्किंग साइट से इस मामले को लेकर की गई पोस्ट को हटाने के भी निर्देश दिए। वहीं, दिल्ली सरकार के वकील गौतम नारायण के अनुसार कोर्ट ने इस मामले में शामिल प्रत्येक पक्ष से विचाराधीन केस को लेकर किसी भी तरह की पब्लिसिटी करने से बचने की बात कह कही है।

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आपको बता दें कि इस मामले में शिकायतकर्ता ने कार्यस्थान पर होने वाले महिलाओं कर्मचारियों के यौन शोषण से जुड़े अधिनियम में शामिल कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया था। जबकि वेब पोर्टल की इंटरनल कम्प्लेंट्स कमिटी ने महिला के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताकर खारिज कर दिया था। जिसके बाद शिकायतकर्ता ने कमिटी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी।


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