
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी नई राष्ट्रीय टीम घोषित कर दी है। इसमें कई नए चेहरों को प्राथमिकता दी गई है जिनमें तृणमूल कांग्रेस से आए राय तथा हजारा भी शामिल हैं। इसके बाद अब सभी की निगाहें मोदी सरकार के आगामी कैबिनेट विस्तार पर टिक गई हैं।
57 मंत्रियों के साथ ली थी नई सरकार की शपथ
माना जा रहा है कि मंत्रीमंडल में भी कोई बड़ा फेरबदल हो सकता है। फिलहाल कैबिनेट में दो मंत्रियों के इस्तीफे तथा एक सदस्य के निधन के कारण पहले ही तीन सीटें रिक्त हो चुकी हैं। शिवसेना नेता अरविंद सावंत तथा शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया था जबकि रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी का कोरोना से निधन हो चुका है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री ने 30 मई 2019 को सरकार बनाने के बाद से अभी तक केबिनेट में कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया है। उन्होंने 57 मंत्रियों के साथ दूसरे कार्यकाल की शपथ ली थी, जिसमें 24 कैबिनेट, नौ राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्यमंत्री शामिल थे। इनमें भी तीन सीटें रिक्त होने के कारण हम कैबिनेट में किसी अप्रत्याशित परिवर्तन की संभावनाएं देख सकते हैं।
महत्वपूर्ण होंगे दूसरे दलों के साथ राजनीतिक समीकरण
दूसरे दलों के बाद बनते-बिगड़ते राजनीतिक समीकरणों के चलते भी इस बार का कैबिनेट विस्तार ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। एक तरह जहां अकाली दल से जुड़ी हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया है तो वहीं शिवसेना के साथ भी नई संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। ऐसे में कुछ नए नामों को मोदी सरकार में जगह मिल सकती है।
अटकलें भी हैं जारी
हालांकि अभी कुछ नेताओं के अनुसार कैबिनेट विस्तार बिहार विधानसभा चुनावों के बाद भी हो सकता है। माना जा रहा है कि उन नेताओं को मंत्रीमंडल विस्तार में जगह मिल सकती है जो पहले से राज्यसभा या लोकसभा के सदस्य हैं। अगर किसी ऐसे नेता को मंत्रीमंडल में लिया जा सकता है जो संसद का सदस्य नहीं है तो उसके लिए राज्यसभा में सीटों की व्यवस्था करनी होगी।
Updated on:
28 Sept 2020 08:38 am
Published on:
28 Sept 2020 08:25 am
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