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Andhra Pradesh: पेड़ के नीचे रहने को मजबूर Corona Patient, जानें क्या है वजह

Andhra Pradesh के Vijaynagram जिले से सामने आई बड़ी खबर खड़सावलसा गांव में COVID-19 पॉजजिटिव रोगी पेड़ के नीचे रहने को मजबूर 15 से ज्यादा इन रोगियों में महिला और बच्चे भी शामिल

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Covid 19 patients living under tree shelter

आंध्र प्रदेश में कोरोना मरीजों का बुरा हाल, पेड़ के नीचे रहने को मजबूर

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( Coronavirus ) लगातार अपने पैर पसार रहा है। अब तक देश में 22 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 42 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। कई राज्यों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इस बीच आंध्र प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल आंध्र प्रदेश ( Andhra Pradesh )में कोरोना मरीजों की हालत और भी बुरी नजर आ रही है। यहां के विजयनगरम ( Vijaynagram ) इलाके में 15 से भी ज्यादा कोविड-19 ( Covid Patient ) मरीज पेड़ के नीचे रहने को मजबूर हैं।

प्रशासन की ओर से सुविधा के अभाव के कारण इन कोरोना के मरीजों को पेड़ के नीचे ही रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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कोरोना काल में देशभर के अलग-अलग इलाकों से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वो काफी चिंता बढ़ाने वाली हैं। आंध्र प्रदेश में के खड़सावलसा गांव का ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां कोरोना के मरीजों को अच्छा इलाज तो दूर सिर पर छत तक नहीं नसीब नहीं हो रही है।

खड़सावलसा गांव में कोरोना वायरस (COVID-19) के लिए पॉजजिटिव परीक्षण किए गए 15 से अधिक रोगियों को पेड़ के नीचे रहना पड़ रहा है। दरअसल, विजयनगरम जिले के सालुर मंडल ने प्रशासन की ओर से सुविधा की कमी की वजह से ये हालात बने हैं। यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं को ऐसा अभाव है कि मरीजों ने पेड़ की छांव के नीचे शरण ली है।

कोरोना का टेस्ट कराने के बाद से ही ये सभी मरीज पेड़ के नीचे शहण लिए हुए हैं। इन्हीं में से एक युवक का कहना है कि हमारे गांव में तीन दिन पहले कोरोना वायरस (COVID-19) परीक्षण किया गया था।
15 ग्रामीणों की वायरस रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। तब से वे आंगनवाड़ी आश्रय के पास पेड़ के नीचे रह रहे हैं। उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं है।

महिलाएं और बच्चे भी मौजूद
युवक की मानें तो पेड़ के नीचे शरण लेने वाले इन मरीजों के बीच महिलाएं और बच्चे भी हैं। लेकिन ना तो प्रशासन की ओर से इनकी कोई सुध ले रहा है और ना स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई कदम उठाया है।
ये लोग लगातार अधिकारियों से अपील कर रहे हैं कि उन्हें उचित संगरोध सुविधा प्रदान करें और उचित भोजन की आपूर्ति करें।

वहीं सलुरु एमआरओ शेख इब्राहिम ने बताया कि स्थानीय VRO ने इन मरीजों के एक स्कूल में आश्रय दिया था और उन्हें भोजन भी परोसा गया था। इब्राहिम के मुताबिक VRO ने मुझे एक रिपोर्ट दी है और मुझे एक बार गांव का दौरा करने को कहा है।

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आपको बता दें कुछ दिनों पहले झारखंड के चतरा से भी इस तरह की खबर सामने आई थी। जहां ग्रामीणों के कोरोना के शक में एक परिवार को गांव से बाहर निकाल दिया था। परिवार के सदस्य एक पेड़ के नीचे रहने को मजबूर हो गए थे। महिलाओं और बच्चों समेत ये परिवार पेड़ के नीचे रहने लगा।


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