scriptफंगल इन्फेक्शन संक्रमक नहीं, एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा-रंग से नहीं नाम से पहचाने | Mucormycosis should identify by name, not by colour : AIIMS Director | Patrika News

फंगल इन्फेक्शन संक्रमक नहीं, एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा-रंग से नहीं नाम से पहचाने

locationनई दिल्लीPublished: May 25, 2021 11:56:34 am

Submitted by:

Mohit Saxena

90 से 95 फीसदी म्यूकोर्मिकोसिस के रोगी या तो डायबिटीज के मरीज हैं या उनके इलाज के दौरान स्टेरॉयड उपयोग हुआ है।

randeep guleria

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस (coronavirus) के बाद अब लोगों को फंगल इंफेक्शन का डर सताने लगा है। इन इंफेक्शन को रंगों के आधार पर नाम दिया जा रहा है। इस पर दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि फंगल इंफेक्शन को उनके नाम से पहचाने ना कि उसके रंग से। ये चाहे काला हो, सफेद हो या पीला। उन्होंने कहा कि रोगियों में देखा गया है कि फंगल ज्यादातर म्यूकोर्मिकोसिस है, जोकि संक्रमक नहीं है। उन्होंने साफ किया कि ऑक्सीजन थेरेपी और संक्रमण पकड़ने के बीच कोई निश्चित रिश्ता नहीं है। बल्कि 90 से 95 फीसदी म्यूकोर्मिकोसिस के रोगी या तो डायबिटीज के मरीज हैं या उनके इलाज के दौरान स्टेरॉयड उपयोग हुआ है।

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रंग से कोई लेना देना नहीं

डॉ गुलेरिया का कहना है कि इन दिनों ब्लैक फंगस, वाइट फंगल इन्फेक्शन और येलो फंगल इन्फेक्शन का नाम सुनने को मिल रहा है। मगर ये सब अलग-अलग फंगल इन्फेक्शन हैं और इनका रंग से कोई लेना देना नहीं है। डॉ गुलेरिया कोरोना की क्लीनिकल मैनेजमेंट बनाने वालों में से एक हैं।

डॉ गुलेरिया का कहना है कि म्यूकोर्मिकोसिस की बात करते समय ब्लैक फंगस शब्द का उपयोग नहीं करना बेहतर है, क्योंकि इससे भ्रम स्थिति पैदा होती है। उन्होंने कहा कि “ब्लैक फंगस, फंगल इन्फेक्शन का दूसरा इंफेक्शन है और काले बिंदुओं या रंग मौजूदगी की वजह से ये शब्द म्यूकोर्मिकोसिस से जुड़ा हुआ है।

मामलों की तादात बढ़ रही

डॉ गुलेरिया ने विभिन्न तरह के फंगल का नाम लेते हुए बताया कि सामान्य तौर पर कैंडिडा, एस्परगिलोसिस, क्रिप्टोकोकस, हिस्टोप्लाज्मोसिस और कोक्सीडायोडोमाइकोसिस जैसे कई प्रकार के संक्रमण पाए जाते हैं। म्यूकोर्मिकोसिस, कैंडिडा और एस्परगिलोसिस लो इम्युनिटी वाले लोगों को अपनी चपेट में लेता है। डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि म्यूकोर्मिकोसिस एक सामान्य फंगल की श्रेणी में आता है। जो कोरोना मरीजों में ठीक होने के बाद देखा गया है। इन मामलों की तादात बढ़ रही है। मगर ये संक्रामक रोग नहीं है, इसका मतलब है कि ये इन्फेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकता है, जैसे कि कोरोना।

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फेफड़ों पर हमला करता है

उन्होंने बताया कि कैंडिडा फंगल संक्रमण मुंह में सफेद धब्बे, ओरल कैविटीज जैसे लक्षणों को दिखाता है। ये खून में भी पाया जाता है। ऐसी स्थिति में यह गंभीर भी हो जाता है। वहीं एस्परगिलोसिस जो आम नहीं है, ये फेफड़ों पर हमला करता है। कोरोना के मामलों में पाया गया है कि ज्यादातर म्यूकोर्मिकोसिस है, एस्परगिलोसिस कभी-कभी देखा जाता है। वहीं कुछ लोगों में कैंडिडा पाया गया है।

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