
kasab
नई दिल्ली। 26 नवंबर 2008 को देश पर सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था। कुछ दिन बाद इस हमले की 10वीं बरसी होगी। इस हमले में मारे गए 166 लोगों को याद किया जाएगा। वहीं कुछ अधिकारी भी हैं जो इस हमले को याद करते हुए अतीत में खो जाते हैं। उनमें से एक हैं वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर रहे और हमले के मुख्य जांच अधिकारी रमेश महाले। बता दें कि इस आतंकी हमले के दौरान जिंदा पकड़े गये आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई थी। 21 नवंबर 2012 को ऑपरेशन एक्स के तहत उसे फांसी पर लटका दिया गया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी कसाब ने जांच अधिकारी रमेश महाले से क्या कहा था।
'तुम जीते मैं हारा'
फांसी लगने से एक दिन पहले कसाब ने रमेश महाले से कहा, 'तुम जीते मैं हारा'। बता दें कि रमेश महाले ऐसे पहले अधिकारी थे जिन्होंने कसाब से पहली बार पूछताछ की। कसाब को विशेष रूप से बने बुलेटप्रूफ, उच्च सुरक्षा कक्ष में स्थानांतरित करने से पहले लगभग 81 दिन हिरासत में रखा गया। 2013 में सेवानिवृत्त हुए महाले ने कहा, " जब तक अदालत की तरफ से डेथ वारंट नहीं मिला था तब तक कसाब को लगता था कि भारतीय कानून से उसे छूट मिल जाएगी। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा [यूनिट-1] में लंबे समय से कार्यरत रहे रमेश महाले ने कई बातें इस मामले से जुड़ी हुईं बताईं। कसाब से सच्चाई उगलवाने के लिए उन्होंने नर्मी भी बरती। उन्हें पता था कि 21 वर्षीय कसाब को मुश्किल पूछताछ तरीके से 'तोड़ा' नहीं जा सकता। उन्होंने बताया हमने कसाब को सहज और आरामदायक महसूस कराया, और उसके 'टूटने' का इंतजार किया। महाले ने कसाब पर 'मेहरबानी' भी की , जिसमें उसे दो नए कपड़े भी लाकर दिए।
हिरासत में डेढ़ महीने बिताए जाने के बाद एक दिन महाले को कसाब की सोच में तब्दीली दिखाई दी। महाले ने बताया कि, "मैं कसाब के साथ बातचीत कर रहा था जब उसने कहा कि उसे अपने अपराध के लिए फांसी दी जा सकती है, ऐसा नहीं होगा क्योंकि भारतीय न्याय प्रणाली में मृत्युदंड को अच्छा नहीं माना जाता है। " कसाब ने उन्हें संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का उदाहरण दिया और कहा, "भारतीय अदालतों ने अफजल गुरु की मौत की सजा सुनाई जाने के आठ साल बाद फांसी नहीं दी। " महाले उस दिन चुप रहे।
'अमिताभ बच्चन को देखने मुंबई आया'
आतंकी कसाब ने जांचकर्ताओं को कई बार चौंकाया था, ट्रायल के आखिर में उसने अदालत में अपना बयान दर्ज करवाने के दौरान भी ऐसी बात कही थी जिससे सभी हैरान रह गए। महाले ने बताया, "कसाब ने अदालत को बताया कि वह पाकिस्तान का नागरिक है और वैध वीजा पर अमिताभ बच्चन को देखने के लिए मुंबई आया था। उसने कहा कि वह अमिताभ बच्चन के जुहू बंगले के बाहर खड़ा था, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया और पुलिस अधिकारियों को सौंप दिया। लॉक अप में ले जाने से पहले पुलिस ने उसके हाथ में गोली मारी, चार दिन बाद 26/11 हमले में उसे फंसा दिया गया। महाले याद करते हुए ये भी बताते हैं कि कभी कसाब ने सीधा जवाब नहीं दिया। लेकिन जब उसकी मौत की तारीख मुकर्रर की गई तो वह डरने लगा। अदालत से बचने का उसका यकीन डर में बदल गया। पुणे जेल में शिफ्ट करते वक्त रमेश महाले ने कसाब को याद दिलाते हुए कहा था (अफजल गुरु की फांसी की बात) , "याद है? चार साल भी नहीं हुए, अब और सात दिन बाकी हैं। इस पर कसाब ने कहा, "आप जीत गए, मैं हार गया"।
बता दें कि कसाब को 80 अपराधों का दोषी पाया गया था, जिनमें हत्या, भारत के खिलाफ जंग छेड़ने, हथियार रखने आदि शामिल थे।
Updated on:
12 Nov 2018 02:19 pm
Published on:
12 Nov 2018 02:04 pm
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