मलाला ने कहा, ‘लोगों को सीमाओं के अंदर रखने की नीति अब काम नहीं करती हैं और भारत तथा पाकिस्तान के लोग शांति से रहना चाहते हैं। अल्पसंख्यकों को हर देश में सुरक्षा की आवश्यकता है, चाहे वह पाकिस्तान हो या भारत, यह मुद्दा धर्म से नहीं जुड़ा हुआ है, बल्कि अधिकारों के हनन से जुड़ा हुआ है और इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
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दरअसल, जयपुर साहित्य महोत्सव (Jaipur Sahitya Mahotsav) के समापन दिवस पर मलाला ने सभी बातें कही। उन्होंने अपनी किताब ‘‘आई एम मलाला: द स्टोरी ऑफ द गर्ल हू स्टूड अप फॉर एजुकेशन एंड शॉट बाई द तालिबान’’ के बारे में बात की। इस बार जयपुर साहित्य महोत्सव डिजिटल तरीके से आयोजित किया गया था।
साहित्य महोत्सव के दौरान उन्होंने कहा, ‘आप भारतीय हैं और मैं पाकिस्तानी हूं और हम पूरी तरह से ठीक हैं, फिर हमारे बीच यह नफरत क्यों पैदा हुई है? सीमाओं, विभाजनों तथा फूट डालो और राज करो की पुरानी नीति… ये अब काम नहीं करती है, क्योंकि हम सभी शांति से रहना चाहते हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि भारत और पाकिस्तान के असली दुश्मन गरीबी, भेदभाव और असमानता है तथा दोनों देशों को एकजुट होना चाहिए और इसका मुकाबला करना चाहिए, न कि एक-दूसरे से लड़ना चाहिए।
मलाला यूसुफजई ने भारत में किसान आंदोलन को लेकर कहा कि भारत में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगाया जानाशांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की खबर चिंताजनक है।सरकार लोगों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि सरकार ऐसा ही करेगी।