
निर्भया के दोषी अक्षय ठाकुर
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में वर्ष 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले ( Nirbhaya Gangrape Case ) में एक और नया मोड़ सामने आया है। निर्भया के दोषी अक्षय ठाकुर ( Akshay thakur ) की याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( President Ramnath Kovind ) खारिज कर दिया है। इसी के साथ चारों दोषियों के बचे हुए विकल्पों में एक और विकल्प पूरी तरह खत्म हो चुका है।
आपको बात दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने का फैसला बुधवार को सुनाया था। इस फैसले को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया के दोषी अक्षय ठाकुर की दया याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले निर्भया गैंगरेप मामले के एक और दोषी विनय शर्मा ने भी राष्ट्रपति के सामने दया याचिका पेश की थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर चुके हैं।
इस मामले में दोषी मुकेश सिंह की भी दया याचिका राष्ट्रपति की ओर से खारिज की जा चुकी है। यानी अब तक कुल चार आरोपियों में से तीन आरोपियों की दया याचिका राष्ट्रपति से खारिज हो चुकी है। जबकि चौथे आरोपी पवन गुप्ता ने अपने अपने इस विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया है।
निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी में हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि दोषी जानबूझ कर कानून का गलत इस्तेमाल कर फांसी में देरी करवा रहे हैं।
अब बचे हैं चार विकल्प
चारों दोषियों के पास अब भी चार विकल्प बाकी हैं। इनमें अक्षय ठाकुर की ओर से राष्ट्रपति के याचिका खारिज करने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना और पवन गुप्ता के तीन विकल्प शामिल हैं।
केंद्र सरकार की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि निर्भया के चारों दुष्कर्मियों को एक साथ फांसी दी जी सकती है अलग-अलग नहीं।
वहीं कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि दोषियों को अब जो भी याचिका दाखिल करनी है 7 दिनों के भीतर ही करनी पड़ेगी। वहीं केंद्र ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।
आपको बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक के लिए रोद लगी दी थी। इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फांसी पर रोक के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका खारिज कर दी। हालांकि कोर्ट ने माना कि दोषी कानून का गलत इस्तेमाल कर फांसी में देरी करवा रहे हैं।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने याचिका दाखिल कर मांग कि जिन दोषियों की दया याचिका खारिज हो चुकी है या उनके पास अब कोई फोरम नहीं बता है उन्हें फांसी दे दी जानी चाहिए।
Published on:
06 Feb 2020 10:29 am
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