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सर्वाधिक पिछड़े जिलों में हरियाणा का मेवात और मध्‍य प्रदेश का सिंगरौली शामिल

जारी रैंकिंग में हरियाणा का मेवात, तेलंगाना का आसिफाबाद, मध्य प्रदेश का सिंगरौली, नगालैंड का किफिरे व उत्तर प्रदेश का श्रावस्ती सबसे पीछे।

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नई दिल्‍ली : नीति आयोग ने देश की 115 संभावना वाले (या पिछड़े) जिलों की पहचान की है, जिसमें से 101 संभावना वाले जिलों के आंकड़े उसे राज्‍य सरकारों से मिल गए। इस आधार पर बुधवार को जारी पहली रैंकिंग में हरियाणा का मेवात सबसे पिछड़ा जिला है। इसके बाद क्रमश: पांच पिछड़े जिलों में तेलंगाना का आसिफाबाद, मध्य प्रदेश का सिंगरौली, नगालैंड का किफिरे और उत्तर प्रदेश का श्रावस्ती है।

नई दिल्‍ली में जारी हुई रैंकिंग
नई दिल्‍ली में रैंकिंग जारी करते हुए नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि रैंकिंग का मकसद किसी जिले को नीचा और किसी अन्य को बेहतर बताना नहीं है। इसका मकसद इनमें आपसी प्रतिस्पर्द्धा पैदा कर विकास के लिए प्रोत्साहित करना है। इससे राज्य सरकारों, स्थानीय सांसदों तथा जिला मजिस्‍ट्रेट को यह पता चल सकेगा कि किन जिलों में किन क्षेत्रों में ज्यादा काम करने की जरूरत है।

49 संकेतकों के आधार पर की गई पहचान
अमिताभ ने बताया कि जिले को 49 संकेतकों के आधार पर रैंकिंग दी गई है। जैसे शिशु मृत्‍यु दर, टीकाकरण, बीच में पढ़ाई छोड़ना, महिला और बाल विकास आदि के आधार पर अंक दिए गए हैं। इस रैंकिंग से अब हर जिले को यह पता होगा कि वे इन संकेतकों पर अपने राज्य या देश के श्रेष्ठ जिलों की तुलना में कहां ठहरते हैं और किन संकेतकों पर ज्यादा काम करने की जरूरत है। जिलों की प्रगति के पैमाने में पोषण के लिए 30 अंक, शिक्षा के लिए 30 अंक तथा कृषि एवं जल संसाधन के लिए 20 अंक दिए गए हैं। शेष 20 अंक वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और मूलभूत ढांचों के लिए हैं। उन्होंने कहा कि मई से इन जिलों की रैंकिंग उनकी ओर से की गई प्रगति के आधार पर होगी। इसके लिए आयोग एक प्राइमर बना रहा है। इसके तहत हर जिले के लिए ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जिनमें वे आसानी से आगे बढ़ सकते हैं और अपनी ओवरऑल रैंकिंग में सुधार कर सकते हैं।

इन जिलों की नियमित होगी जांच
अमिताभ कांत ने बताया कि इन जिलों की नियमित निगरानी होगी। इन जिलों के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर 115 प्रभारी अधिकारी बनाए गए हैंद्ध जो अतिरिक्त सचिव या संयुक्त सचिव के स्तर के होंगे। साथ ही सचिवों की एक अधिकार प्राप्त समिति प्रगति की निगरानी करेगी। इसके अध्यक्ष नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे। राज्यों के स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति और नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि दरअसल पिछड़ेपन का कारण पैसे की नहीं, प्रशासन की कमी है।

इनमें से 33 जिले नक्‍सल प्रभावित हैं
इन पिछड़े जिलों में सबसे अच्छा प्रदर्शन वाले पांच जिलों में आंध्र प्रदेश के विजयनगरम, छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव, महाराष्ट्र के उस्मानाबाद, आंध्र प्रदेश के कडप्पा और तमिलनाडु के रामनाथपुरम को रखा गया है। इस आंकड़े के साथ नीति आयोग के सीइओ ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि ये जिले बेहतर कर रहे हैं, बल्कि ये अन्य पिछड़े जिलों की तुलना में बेहतर हैं। रैंकिंग के कुल 101 जिलों में 33 नक्सल प्रभावित हैं। इनके विकास की देखरेख का काम गृह मंत्रालय करेगा। नीति आयोग को 25 जिलों और केंद्रीय मंत्रालयों को 43 जिलों की जिम्मेदारी दी गई है।