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राज्यसभा में सरकार का बड़ा बयान, ‘कोविड की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई किसी की मौत’

मोदी सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से एक भी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई है। हालांकि, सरकार ने ये जरूर माना कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की डिमांड काफी अधिक बढ़ी थी।

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No One Died Due To Lack Of Oxygen In Covid-19 Second Wave: Government Said In Rajya Sabha

नई दिल्ली। कोरोना महामारी से निपटने के लिए जहां एक ओर देश में तेजी के साथ टीकाकरण को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कोविड मैनजमेंट को लेकर राजनीति भी हो रही है।

जहां विपक्ष लगातार कोविड़ के खिलाफ लड़ाई में सरकार पर मिसमैनेजमेंट का आरोप लगा रही है, वहीं सरकार विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर रही है। कोरोना को लेकर संसद में व्यापक चर्चा की मांग विपक्ष लगातार कर रही है और अब इसी संदर्भ में सरकार ने एक सवाल के जवाब में एक बड़ा ही चौंकाने वाला जवाब दिया है।

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सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से एक भी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई है। हालांकि, सरकार ने ये जरूर माना कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की डिमांड काफी अधिक बढ़ी थी।

दरअसल, कोरोना के मुद्दे पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा था कि क्या यह सच है कि Covid-19 की दूसरी लहर में कई मरीज सड़कों और अस्पतालों के बाहर ऑक्सीजन की कमी से मरे हैं? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने लिखित उत्तर देते हुए बताया कि 'स्वास्थ्य राज्य का विषय है और सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना के दौरान हुई मौतों के बारे में सूचित करने के लिए गाइडलाइंस दिए गए थे। लेकिन किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि किसी भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है।'

दूसरी लहर में बढ़ी ऑक्सीजन की मांग

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सदन में जानकारी देते हुए बताया गया कि कोविड की दूसरी लहर में पहले के मुकाबले ऑक्सीजन की भारी मांग बढ़ी। जहां पहली लहर में ऑक्सीजन की डिमांड 3,095 मीट्रिक टन थी, जो दूसरी लहर में बढ़कर 9,000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई।

सरकार ने आगे यह भी बताया कि दूसरी लहर में केंद्र की ओर से 28 मई तक राज्यों को 10,250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। महाराष्ट्र और कर्नाटक को सबसे अधिक 1200-1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई, जबकि दिल्ली को 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई।