
भारत और नेपाल का रिश्ता अटूट है।
नई दिल्ली। भारत और नेपाल ( India-Nepal ) के बीच जारी सीमा विवाद ( Border Dispute ) पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ( Defence Minister Rajnath Singh ) ने सोमवार को बड़ा बयान दिया है। उत्तराखंड में आयोजित जन संवाद रैली में उन्होंने कहा कि लिपुलेख रोड ( Lipulekh Road ) बनाने को लेकर हमारे बीच यदि कोई गलतफहमी है, तो उसे बातचीत के जरिए सुलझाएंगे। दोनों देशों के बीच असाधारण संबंध हैं। हमारे बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। दुनिया की कोई ताकत इसे तोड़ नहीं सकती है।
हमारे यहां गोरखा रेजिमेंट ( Gorkha Regiment ) ने समय समय पर अपने शौर्य का परिचय दिया है। उस रेजिमेंट का उद्घोष जय महाकाली आयो री गोरखाली है। महाकाली तो सब जगह विद्यमान हैं। महाकाली के भक्त तो उत्तराखंड के गांव-गांव में मिल जाते हैं तो कैसे भारत और नेपाल का रिश्ता यह टूट सकता है।
मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूं, भारत में रहने वाले लोगों के मन में कभी भी नेपाल को लेकर कटुता पैदा हो ही नहीं सकती है।
विवादित नक्शा पर ऊपरी सदन में मतदान कल
नेपाली संसद के ऊपरी सदन में विवादित नक्शे ( Disputed Map ) पर मंजूरी हासिल करने के लिए नेशनल असेंबली ( National Assembly ) सेक्रेटरी राजेंद्र फुयाल ने संविधान संशोधन विधेयक रविवार को पेश किया। नेशनल असेंबली की दूसरी बैठक में कानून मंत्री शिव माया तुंबहंगफे ने चर्चा के लिए यह प्रस्ताव रखा। चर्चा के बाद इस प्रस्ताव का सर्वसम्मति से समर्थन किया गया। अब मंगलवार को इस विधेयक पर वोटिंग ( Voting on Bill Tomorrow ) होगी।
बता दें कि नेपाल की निचली सदन पहले ही इस विधेयक को बहुमत से पारित कर चुकी है। भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाया है। भारत सरकार ने नेपाल के इस रुख पर पहले ही सख्त ऐतराज जता चुकी है।
खतरनाक मोड़ पर गहरे संबंध
भारत-नेपाल मामलों के रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल की घरेलू राजनीति में हलचल, चीनी मदद और भारत के साथ उलझी आकांक्षाओं ने दोनों के बीच नए विवाद को जन्म दिया है। इस बीच नेपाल ने जो कदम उठाए हैं वो चौंकाने वाले हैं।
विशेषज्ञों की राय :
बाहर आना मुश्किल
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पहली बार खतरनाक मोड़ पर पहुंचा है। भारत को काठमांडू से नवंबर तक का समय मिलना चाहिए। अभी तक हमने कम संवेदनशील होने का परिचय दिया है। अब नेपाल ने इस मसले को वहां तक पहुंचा दिया है जहां से बाहर आना मुश्किल है।
- राकेश सूद, पूर्व राजदूत, नेपाल
भारत विरोधी नेपाली राष्ट्रवाद
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने घरेलू मोर्चे पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नए नक्शे पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है। भारत विरोधी नेपाली राष्ट्रवाद का कार्ड खेलने से उन्हें आगामी चुनाव जीतने में मदद मिलने की पूरी उम्मीद है।
- रंजीत राय, पूर्व राजदूत, नेपाल
पुराने संबंधों की परवाह नहीं
नक्शा विवाद के पीछे चीन का हाथ है। इस मुद्दे पर उसने नेपाल को भड़काया है। नेपाल ने भी यह संदेश दिया है कि वह अपने स्टैंड पर कायम रहेगा। फिर यह ओली का नया नेपाल है। इसकी 65 फीसदी आबादी युवा है। उसे पुराने संबंधों की परवाह नहीं है। हमें संवेदनशीलता, चातुर्य और समझदारी का परिचय देना देना चाहिए।
- एसडी मुनि, अमेरिटस प्रोफेसर, जेएनयू
Updated on:
15 Jun 2020 08:14 pm
Published on:
15 Jun 2020 08:12 pm
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