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इस वजह से अब आपको कलरफूल दिखेंगी ट्रेन की पटरियां

रेलवे को रस्टिंग पर 1500 करोड़ रु. सालाना खर्च करना पड़ता है।

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ashutosh tiwari

Dec 31, 2017

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नई दिल्ली. रेल की पटरियां अब रंग-बिरंगी नजर आएंगी। इसके लिए रेल मंत्रालय जल्द ही ग्लोबल टेंडर जारी करेगा। पटरियों का रंग बदलने से रेलवे रस्टिंग (जंग लगना) पर होने वाले सालाना खर्च को बचाएगा। साथ ही सुरक्षा के लिहाज से रंग-बिरंगी पटरियों में किसी प्रकार के खामी को भी जल्द पकड़ा जा सकेगा। रेल मंत्रालय के मुताबिक पहले से बिछाए जा चुके ट्रैक को भी रंगीन बनाया जाएगा। रेलवे को रस्टिंग पर 1500 करोड़ रु. सालाना खर्च करना पड़ता है।

लागत में होगी मामूली बढ़ोतरी
अभी रस्टिंग से बचाव पर 1500 करोड़ का वार्षिक खर्च आता है। सामान्य पटरियों के मुकाबले निर्माण इकाई से ही रंगीन बन कर आने वाली पटरियों पर खर्च में मामूली बढ़ोतरी होगी। टेंडर ग्लोबल होने से राशि में अंतर आएगा। ऐसे डेढ़ हजार करोड़ की बड़ी बचत होना संभव है।

रेलवे पहले से कर रहा प्रयोग
रेलवे ने ट्रायल में कोच को रंग-बिरंगा बनाकर रस्टिंग के नुकसान को कम किया है। इसी तरह से फुट ओवर ब्रिज व स्टेशन पर जहां भी रस्टिंग की संभावना होगी, उन्हें रंग-बिरंगा किया जाएगा। ताकि खर्च को और कम कर सके।

सुरक्षा के लिए अच्छा
पटरियों के रंग-बिरंगा होना सुरक्षा के लिहाज से भी उपयुक्तहै। एक अधिकारी के मुताबिक रंग बदलने से ट्रैक के फाल्ट को गैंगमैन जल्दी से पकड़ सकेंगे। एक जैसा रंग होने से परेशानी होती है।

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ऐसे तय किए जाएंगे पटरियों के रंग
कहां किस रंग का उपयोग होगा, यह अगले चरण में तय किया जाएगा। इसके लिए कई तरह के प्रस्तावों पर विचार हो रहा है। स्टेशन और उसके आस-पास के इलाके, पुल, जंगल आदि को अलग-अलग श्रेणियों में बांट कर उनके लिए रंग निर्धारित किए जा सकते हैं। इसी तरह अगर एक जगह तीन पटरियां गुजर रही हों तो उनमें किनारे व बीच वाली के लिए अलग रंग तय किया जाएगा।


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