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चंद्रयान-2 में लगे हैं दो फ्रीक्वेंसी वाले राडार, मिलेंगे बेहतर नतीजेः पूर्व इसरो प्रमुख

ISRO के पूर्व प्रमुख एएस किरण कुमार नतीजों को लेकर आश्वस्त चंद्रयान-1 की तुलना में मौजूदा मिशन बहुत एडवांस्ड Chandrayaan-2 के भीतर कई नई क्षमताएं हैं  

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नई दिल्ली। चंद्रयान-2 मिशन को लेकर इसरो के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क साधने में जुटे हुए हैं। हर ओर से इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेश (ISRO) की मदद के लिए हाथ उठ रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच इसरो के पूर्व प्रमुख एएस किरण कुमार ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पा रहा तो कोई बात नहीं, चंद्रयान-2 फिर भी बेहतरीन नतीजे हासिल करने की क्षमता रखता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसरो के पूर्व चीफ किरण कुमार ने बृहस्पतिवार को जानकारी दी कि चंद्रयान-2 को लेकर जो भी योजना बनाई गई थी, वो केवल लैंडिंग को छोड़ दें तो बिल्कुल सही रूप से पूरी हुई। ऐसे में परेशान होने वाली बात नहीं है।

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उन्होंने पिछले चंद्रयान-1 से तुलना करते हुए कहा कि चंद्रयान-2 बेहद उन्नत किस्म का है। इस बार के ऑर्बिटर में कई ऐसे उपकरण लगाए गए हैं जो बिल्कुल सटीक और मनचाहे नतीजे देने में सक्षम हैं। जबकि एक दशक से पहले भेजे गए चंद्रयान-1 के वक्त तकनीक इतनी एडवांस नहीं थी।

किरण के मुताबिक चंद्रयान-2 में लगे उपकरण उम्मीद से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करने वाले हैं। यह न केवल लंबी दूरी तक की तरंगदैर्ध्य बल्कि बेहतर राडार के साथ भेजा गया था। इनकी तरंगदैर्ध्य क्षमता तीन से पांच माइक्रोन तक की है। वहीं, चंद्रयान-1 में केवल दो उपकरण ही लगे थे।

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किरण ने बताया कि पहले जहां चंद्रयान में सिंथेटिक अपर्चर वाले राडार का इस्तेमाल किया गया था, इस बार इसरो ने दो फ्रीक्वेंसी वाले राडार लगाए हैं। इसका मतलब कि इसके भीतर कई नई क्षमताएं हैं और यह बहुत बेहतर नतीजे मुहैया कराएगा।

उन्होंने कहा कि इसरो को काफी ज्यादा जानकारी वाले परिणामों की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि इसरो दोहरे फ्रीक्वेंसी वाले माइक्रोवेव सेंसर्स के जरिये स्थायी रूप से छायादार क्षेत्रों को भी बेहतर तरीके से मैप कर सकता है। इसके अलावा लंबी दूरी तक तरंगदैर्ध्य और हाई-रिजोल्यूशन कैमरे भी बहुत शानदार जानकारी मुहैया कराने में सक्षम हैं।

गौरतलब है कि बीते 22 जुलाई को इसरो के महात्वाकांक्षा चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च किया गया था। इस चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं जो ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर हैं।

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बीते 7 सितंबर को विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंचना था, लेकिन लैंड करने से 2.1 किलोमीटर पहले ही इसका इसरो से संपर्क टूट गया।

फिलहाल चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर की लोकेशन का सही पता लगा चुका है। इसके बाद इसरो फिर से लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश में दिन-रात जुटा हुआ है।