
केवल दिल्ली में होने से गरीब लोग सुप्रीम कोर्ट तक नहीं पहुंच पाते।
नई दिल्ली। संसद की स्थायी समिति ( Parliament standing committee ) ने अपनी 107वीं रिपोर्ट में देश में मौजूदा न्याय प्रणाली ( Judicial System ) में सुधार और उसे और बेहतर बनाने को लेकर तीन अहम सुझाव दिए हैं। स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सिर्फ दिल्ली में केंद्रित नहीं होना चाहिए। दिल्ली के अलावा कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में भी इसकी बेंच स्थापित होनी चाहिए।
न्यायिक व्यवस्था में विविधता पर जोर
संसद की स्थायी समिति ने कहा है कि केवल दिल्ली में केंद्रित होने की वजह से दूरदराज इलाके के गरीब लोग सुप्रीम कोर्ट तक अपील नहीं कर पाते हैं। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि न्यायपालिका में सामाजिक और आर्थिक विविधता नजर आनी चाहिए। इससे साफ है कि कोर्ट में हर धर्म, जाति और हर आर्थिक वर्ग के जज होने चाहिए। अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने वाले जज आम लोगों की भावनाओं और उनकी दिक्कतों को बेहतर समझ पाएंगे।
जजों की कमी पर जताई चिंता
संसदीय समिति ने अपनी 107वीं रिपोर्ट में जजों की कमी पर भी गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट में जजों की रिक्तियां 37 से 39 फीसदी हैं। 2016 में देश भर में 126 हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति हुई थी जो कि 2020 में घटकर सिर्फ 66 हो गई। इसलिए समिति ने सिफारिश की है कि हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 कर दी जाए।
Updated on:
17 Mar 2021 12:53 pm
Published on:
17 Mar 2021 12:26 pm
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