नई दिल्ली।
कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के बाद ठीक हो रहे मरीजों को अब एक नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जांच में पता चला है कि कोरोना को मात देने वाले कई मरीजों की नसों की जगह धमनियों में खून का थक्का जम रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि स्थिति गंभीर होने पर जान बचाने के लिए अंगों को काटना भी पड़ सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार, कोरोना वायरस के कारण नसों में खून का थक्का जमने के मामले सामने आए थे। वहीं, अब धमनियों में थक्का जमने के मामले सामने आ रहे हैं। इसे चिकित्सीय भाषा में आर्टरियल थ्रॉम्बोसिस कहते हैं। धमनियों में खून का थक्का जमने से गैंगरीन का खतरा रहता है, जिसमें मरीज की जान बचाने के लिए अंगों को काटना पड़ सकता है। यही नहीं, धमनियों में थक्का जमने से दूसरे अंगों को भी खतरा पैदा हो सकता है। यह मामले कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के करीब दो हफ्ते बाद सामने आ रहे हैं। यह समस्या सभी आयु वर्ग में देखी जा रही है, मगर युवाओं में यह अधिक है।
क्या हैं लक्षण
- पैर में दर्द शुरू होता है और यह धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है।
- अंगुलियों और अंगूठे में सुन्न महसूस होता है।
- पैरों की गतिशीलता कम और धीरे-धीरे बंद हो जाती है।
-ऑक्सीजन आपूर्ति पर भी असर होता है, जिससे शरीर पीला दिखने लगता है।
- मरीज की पल्स रेट पता नहीं लगती।
राहत कब और कैसे
डॉक्टरों के अनुसार, यह परेशानी कैसे और क्यों बढ़ रही है, इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। ठोस नतीजे शोध परिणाम आने के बाद ही पता लगेंगे। संभवत: कोरोना वायरस की चपेट में आने के साथ ही धमनियों में खून के छोटे-छोटे थक्के बनने लगते हों और यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हो। डॉक्टरों का कहना है थक्का जमने के आठ से 24 घंटे के भीतर मरीज को अस्पताल पहुंचा देना चाहिए। साथ ही, धमनियों में जमा थक्का यदि ठोस नहीं है, तभी राहत की उम्मीद की जा सकती है।
Published on:
06 Jul 2021 07:58 am