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पत्रिका कीनोट सलोन में बोले जफरभाई सरेशवाला- गलती हुई, लेकिन कुदरत ने सुधरने का मौका दिया

- जफरभाई सरेशवाला ने कोरोना, मरकज, जमात, इस्लाम समेत अन्य मुद्दों पर बेबाकी से रखी अपनी बात - इस्लाम नहीं कहता कि किसी को परेशान करो, इसलिए लॉकडाउन को मानो -मरकज के लिए मौलाना साद को मैंने सलाह दी लेकिन वो नहीं माने और कार्यक्रम होने दिया  

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पत्रिका कीनोट सलोन में बोले जफरभाई सरेशवाला- गलती हुई, लेकिन कुदरत ने सुधरने का मौका दिया

नई दिल्ली। पत्रिका कीनोट सलोन में शनिवार को कोराबारी, इस्लामिक स्कॉलर जफरभाई सरेशवाला ने कहा कि रमजान इबादत का महीना है। रात को सोने से पहले तनहाई तहनाई में हिसाब करें कौन से अच्छे काम किए और कौन से बुरे। मुसलमानों को कोरोना ने सोचने का वक्त दिया है। यह वक्त है अपने आप को ठीक करने का। आज मुसलमानों में ग्रेजुएशन का लेवल आठ फीसदी है। फिर भी मैं कहता हूं कि हमें जॉब नहीं मिल रही है। यह वक्त खुद को समझने का है और गलतियों को सुधारने का है।

घरों में रहकर नमाज अता करें और सरकार की गाइडलाइन का पालन करें

जफरभाई सरेशवाला ने पत्रिका कीनोट सलोन में फेसबुक पर पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए कोरोना, मरकज, जमात इस्लाम समेत अन्य मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि हमें लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए। यह तो इस्लाम का हिस्सा है। इस्लाम कहता है कि जहां महामारी हो वहां जाना नहीं चाहिए और अगर वहीं हो तो वहां से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस्लाम कहता है कि आपकी वजह से दूसरों को तकलीफ नहीं होनी चाहिए। ऐसे में घरों में रहकर नमाज अता करे, घर को इबादतगाह बनाएं और सरकार की गाइडलाइन का पालन करें।

मौलाना साद से गलती हुई- जफरभाई सरेशवाला

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मौलाना साद से गलती हो गई है। पांच सालों से तबलीगी जमात दो ग्रुपों में बंट गया है। एक मौलाना साद का है और दूसरा इब्राहिम देवला और मोहम्मद लाड हैं। आज 60 फीसदी दूसरों के साथ हैं। दोनों से मैंने कार्यक्रम को रद्द करने की बात कही थी। उन्होंने मेरी सलाह मानकर कार्यक्रम को रद्द कर दिया था। मौलाना साद नहीं माने और कार्यक्रम होने दिया। सबसे बड़ी गलती हुई कि वह आज तक सामने नहीं आ पाए हैं। अगर सामने आ जाते और कह देते कि लोग अपना इलाज कराएं तो यह समस्या इतनी नहीं बढ़ती। एक लीडर के तौर पर आपकी यह जिम्मेदारी होती है कि जब मुश्किल वक्त हो तो आप सामने आकर राह दिखाएं।

तबलीगी जमात का मतलब मुसलमान एक अच्छा इंसान

उन्होंने कहा कि तबलीगी जमात की स्थापना 1920 में हुई थी। मौलादा साद के परदादा ने इसकी शुरुआत की थी। तबलीगी का मतलब है धर्म का प्रचार करना। लेकिन तबलीगी जमात का मकसद है एक मुसलमान अच्छा इंसान बन जाए। कारोबार में पार्टनर हैं तो आप अच्छा पार्टनर बने।

मौलाना साद के परदादा मौलाना यूसूफ साहब कहा करते थे कि पहले जिस्म पर तो इस्लाम ले आओ फिर मुल्क में इस्लाम लाना। यानी झूठ, फरेब, गलती, बेइमानी को अपने अंदर से दूर करो। तबलीगी जमात के 100 साल के इतिहास में किसी पर ऊंगली नहीं उठी है अगर किसी पर सवाल खड़े हुए उसे तत्काल दर बदर कर दिया गया।