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सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं के स्थाई कमीशन पर लगाई मुहर

हाई कोर्ट ने महिलाओं को सेना में पुरुषों की तरह स्थाई कमीशन देने का दिया था आदेश हाईकोर्ट के फैसले के 9 साल बाद सरकार ने बनाई थी नीति नई नीति में सरकार ने जोड़ दी थी शर्त    

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सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। दिल्ली हाई कोर्ट से महिलाओं के पक्ष में फैसला आया था। यह मामला सेना में स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गई महिला अधिकारियों ने उठाया था। असल में 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट से कानूनी लड़ाई जीतने के बावजूद ये महिलाएं सरकार के रवैये के कारण अपना हक हासिल नहीं कर सकी हैं।

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यह है पूरा मामला

मामले के अनुसार- 12 मार्च 2010 को हाई कोर्ट ने शार्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया था। लेकिन इसके खिलाफ रक्षा मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट चला गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार तो किया, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई।

फैसले के 9 साल बाद सरकार ने बनाई नीति

हाई कोर्ट का फैसला आने के 9 साल बाद फरवरी 2019 में सरकार ने 10 विभागों में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की नीति बनाई। लेकिन साथ ही यह शर्त भी जोड़ दी कि- इसका लाभ मार्च 2019 के बाद से सेवा में आने वाली महिला अधिकारियों को ही मिलेगा। इस शर्त से वे महिलाएं स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गईं, जिन्होंने इसके लिए लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी।

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महिलाओं को लड़ाई में भेजने का मामला नहीं

फरवरी 2019 में सरकार ने सेना के इन 10 विभागों में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की नीति बनाई है- जज एडवोकेट जनरल, आर्मी एजुकेशन कोर, सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स-मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस और इंटेलिजेंस। इनमें से कोई भी सीधे लड़ाई में हिस्सा लेने वाला विभाग नहीं है।

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सरकार की दलील

सरकार की तरफ से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह बात कही थी कि- "कॉम्बैट विंग यानी सीधी लड़ाई वाली यूनिट में महिला अधिकारियों को तैनात कर पाना संभव नहीं है। दुर्गम इलाकों में तैनाती के लिहाज से शारीरिक क्षमता का उच्चतम स्तर पर होना जरूरी है. सीधी लड़ाई के दौरान एक अधिकारी आगे बढ़कर अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करता है. अगर कभी कोई महिला शत्रु देश की तरफ से युद्ध बंदी बना ली जाए, तो उसकी स्थिति क्या होगी?"