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मिसाइल हमले से बेअसर
‘अर्जुन मार्क ए1’ युद्ध टैंक को DRDO के यहां स्थित युद्धक वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान ने बनाया है। टैंक के इस वर्जन में फायर पावर भी बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही इस टैंक में अपने लक्ष्य को खुद ढ़ूढ़ने कर उसे नस्तानाबूत करने की क्षमता भी है। इतना ही नहीं ये टैंक लगातार हिलने वाले लक्ष्यों को भी बना चूके निशाना लगा सकता है।इस टैंक के आगे ग्रेनेड व मिसाइल हमले से बेअसर हैं। अर्जुन टैंक युद्ध के मैदान में बिछाई गई माइंस हटाकर आसानी से आगे बढ़ने में सक्षम है। अर्जुन टैंक में केमिकल अटैक से बचने के लिए स्पेशल सेंसर लगे हैं।
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चीन के पास हैं सबसे अधिक टैंक
बता दें अर्जुन टैंक के सेना में शामिल किए जाने के बाद 2 बख्तरबंद रेजिमेंट बनाए जाएंगे। प्रत्येक रेजीमेंट में 59 अर्जुन टैंक होंगे।इन टैंक को सेना में शामिल करने के बाद सेना की क्षमता में और इज़ाफा हो गया है। लेकिन भारत अब भी टैंक के मामले में चीन और अमेरिका से बहुत पीछे है। चीन के पास अभी 9,150 टैंक मौजूद हैं। वहीं अमेरिका के पास 8,325 टैंक है। भारत की बात करें तो यहां अभी 3,569 टैंक है। पाकिस्तान भी टैंक के मामलों में भारत को कड़ी टक्कर दे रहा है। यहां फिलहाल 3,124 टैंक हैैं।