
पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से की बातचीत
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना लॉकडाउन के बीच लगातार विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से संवाद कर रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवारको पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के गैर सरकारी संगठनों से चर्चा की। सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पीएम मोदी ने वाराणसी के लोगों से संवाद किया।
हर हर महादेव...इन शब्दों के साथ पीएम मोदी ने की संवाद की शुरुआत। उन्होंने कहा कोरोना संकट में काम करना सामान्य बात नहीं है। मुझे सेवा भावियों के काम से आगे काम करने की प्रेरणा मिलती है।
पीएम मोदी ने कहा - कितनी ही बड़ी आपदा क्यों ना हो, किसी को काशी के लोगों की जीवटता का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। जो शहर दुनिया को गति देता हो उसके सामने कोरोना क्या चीज है। ये आपने दिखा दिया।
कबीर के दोहे का दिया उदाहरण
पीएम मोदी ने कबीर के दोहे का उदाहरण देते हुए कहा- 'सेवक फल मांगे नहीं, सेवा करे दिन-रात' सेवा करने वाला दिन रात काम करता है कभी फल की इच्छा नहीं रखता। इसी भावना के साथ केंद्र सरकार ने निरंतर प्रयास किया है कि कोरोना काल के समय में सामान्य जन की पीड़ा को साझा किया जाए। गरीब को राशन मिले। उसकी जेब में रुपए रहें, उसके पास रोजगार हो और वो अपने काम के लिए ऋण ले सके।
- भारत में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।इसका बहुत बड़ा लाभ बनारस के भी गरीबों और श्रमिकों को हो रहा है। भारत अमरीका से भी दोगुनी आबादी एक पैसा लिए बिना उनका भरण पोषण कर रहा है। इस योजना को नवंबर अंत तक दीपावली और छठ पूजा तक इसको बढ़ा दिया गया है।
हमारी कोशिश यही है किसी गरीब को त्योहार के समय खाने-पीने की कमी ना हो। लॉकडाउन के कारण गरीब को खाना पकाने की ईंधन की दिक्कत ना हो। इसके लिए उज्जवला लाभार्थियों को तीन महीने से मुफ्त सिलेंडर दिया जा रहा है। गरीबों के जन-धन खाते में हाजारों करोड़ जमा करना सरकार ने सुनिश्चत किया है।
- कोरोना संकट में सबके तौर तरीके बदल गए हैं। सेवा का जीवन पर बड़ा प्रभाव होगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान का केंद्र बने काशी
जब स्थितियां सामान्य होंगी काशी में पुरानी रौनक लौटेगी। हर प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने पर ध्यान दिया जा रहा है। काशी को आत्ननिर्भर भारत अभियान का बड़ा केंद्र बनते हुए हम देखना चाहते हैं। यहां की साड़ियां, यहां के दूसरे हस्तशिल्प, डेयरी, मत्स्यपालन के द्वार खुलेंगे। हम सभी के प्रयासों से हमारी काशी भारत के एक बड़े एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित हो सकती है। काशी को हम आत्मनिर्भर भारत अभियान की प्रेरक स्थली के रूप में विकसित करें।
- एक सोनार अपने घर में काम करता था। उसकी महाशय की एक आदत थी वे बाजार से दातून खरीदते थे। अस्पताल में जाकर मरीज के रिश्तेदारों को दातून देकर आते थे। रोजाना काम करते थे। सेवाभावी होने की वजह से लोगों में उनका भरोसा बढ़ा था तो लोग उनसे ही अपना सोने का काम करवाते थे।
- 100 साल पहले ऐसी ही बीमारी हुई थी, उस वक्त भी महामारी में दुनिया में जहां सबसे ज्यादा लोग मरे उसमें भारत भी था। इस बार जब महामारी आई तो सारी दुनिया में भारत को लेकर डर लगा रहा था। दुनिया को ये डर था कि भारत की वजह से मुश्किल बढ़ सकती है। 24 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश ने साबित कर दिखाया कि यहां लोगों ने किस तरह कोरोना संकट पर सचेत होकर काम किया।
- कोरोना के कारण काशी में चाय की रेड़िया सूनी हो गई हैं। यहां की संगीत परंपरा को महान साधकों ने समृद्ध किया। आज नई पीढ़ी के कलाकार आगे बढ़ा रहे हैं।
- हमारी काशी में बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा दोनों विराजे हैं..पुरानी मान्यता है कि एक समय में महादेव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी,तब से काशी को ये आशीर्वाद रहा है कि यहां कोई भूखा नहीं सोएगा। मांग अन्नपूर्णा और बाबा विश्वानाथ सबके खाने का इंतजाम कर रहे हैं।
- तमाम संगठनों के लिए ये सौभाग्य की बात है इस बार गरीबों की सेवा का माध्यम आप सभी को बनाया है। आप सभी मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ के दूत बनकर हर जरूरतमंद तक पहुंचे।
- कम समय में फूड हेल्पलाइन हो, कम्युनिटी किचन का व्यापक नेटवर्क, आधुनिक विज्ञान टेक्नोलॉजी की मदद हर स्तर पर सभी ने गरीबों की मदद के लिए पूरी क्षमता से काम किया।
- हमारे देश में सेवा भाव नई बात नहीं..ये हमारे संस्कारों में है। लेकिन इस बार का सेवा कार्य सामान्य नहीं है यहां सिर्फ किसी दुखी के आंसु पोंछना नहीं था इस बार कोरोना जैसी बीमारी को गले लगाने का जोखिम भी था...इसलिए सेवा के साथ त्याग और बलिदान का भाव भी था। दुनिया में जिसने भी इस संकट में काम किया वो सामान्य नहीं है।
- जिला प्रशासन के पास भोजन की गाड़ियां कम पड़ीं तो डाक विभाग ने अपनी खाली पड़ी गाड़ियों को इस काम में लगा दिया। सरकार विभागों की छवि ऐसी थी कि कामों के लिए मना किया जाता था, लेकिन संकट के समय में सभी ने आगे बढ़कर एक दूसरे की मदद की।
- इस एकजुटता और सामुहिकता ने काशी को और भव्य बना दिया है। यहां का प्रशासन हो, गायत्री परिवार रचनात्मक ट्रस्ट हो, राष्ट्रीय रोट्री बैंक हो...सिंधी समाज के भाई-बहन हों। बैंकों से जुड़े लोग कोट,पेंट टाई छोड़कर गली-गली में खड़े होकर लोगों की मदद कर रहे हैं।
- हजारों लोगों ने काशी के गौरव को बढ़ाया। सबके काम को नमन करता हूं।
- संक्रमण को रोकने के लिए कौन क्या कदम उठा रहा है, अस्पतालों की स्थिति, क्वारंटीन को लेकर क्या हो रहा है. श्रमिकों का हाल ये सारी जानकारी मैं लगातार लेता रहता था।
- पिछले तीन चार महीने में कई काम निरंतर हुए। इस दौरान मैं लगातार योगी जी से संपर्क में रहता था।
- पीएम ने कहा सावन महीना चल रहा है ऐसे में बाबा के चरणों में आने का मन सबको करता है, लेकिन बाबा की नगरी के लोगों से रूबरू होने का मौका मिला है। ऐसा लग रहा है दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। सभी को भोलेनाथ के प्रिय महीने की शुभकामनाएं। भोलेनाथ का आशीर्वाद है कि कोरोना संकट में भी काशी उत्साह से भरी हुई है।
- सावन में विश्वनाथ धाम ना जाने की पीड़ा मैं समझ सकता हूं। इस संकट के समय में और मेरी काशी हमारी काशी ने डंट कर मुकाबला किया। ये कार्य
Published on:
09 Jul 2020 11:59 am
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