
cowin app
नई दिल्ली। कोविड टीकाकरण (Corona vaccination) के पंजीकरण को लेकर केंद्र सरकार के कोविन पोर्टल (Cowin) पर सियासत तेज हो रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सवाल उठाए जाने के बाद कहा जा रहा है कि कई कांग्रेस शासित राज्यों में नए ऐप का मसला उठ सकता है। इस मामले में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। वह कुछ दिनों में नया पोर्टल लांच करने की तैयारी में है।
प्रमाणपत्र पर पीएम की फोटो पर सवाल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विपक्ष के कुछ राज्य वैक्सीन के लिए केंद्र की प्रचार रणनीति से असहज हैं। वैक्सीन प्रमाणपत्र पर पीएम की फोटो को लेकर कई तरह से सवाल उठाए जा रहे हैं। चुनाव के दौरान बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी इस पर प्रश्न खड़े किए थे। कुछ राज्य सीधे बोलने से दूरी बना रहे हैं। मगर छत्तीसगढ़ अपना नया राज्य स्तरीय पोर्टल लांच करने की कोशिश में लगा हुआ है। इस तरह से राज्य अपना अलग से पंजीकरण करा सकेगा। इसके साथ फ्रंटलाइन वर्कर को अलग से चिन्हित किया जा सकेगा।
कोविन साइट क्रैश हो सकती है
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे भी इस मामले में सवाल उठा चुके हैं। ठाकरे भी राज्य स्तरीय ऐप की जरूरत बताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं। उद्धव ने पत्र में आशंका जाहिर की है कि 18 से 45 वर्ष के लोगों के पंजीकरण में बड़ी तादाद की वजह से कोविन साइट क्रैश हो सकती है। इसमे अनुचित गतिविधियों का भी डर है। उन्होंने सुझाव दिया कि या तो राज्य अपना ऐप या पोर्टल बनाये। जिसमे पंजीकरण करके केंद्र से डेटा साझा किया जाएगा या फिर केंद्र द्वारा खुद राज्यों के लिए नया ऐप डिजाइन किया जाए।
केंद्र ने चुप्पी साध रखी है
इस मामले को लेकर फिलहाल केंद्र ने चुप्पी साध रखी है। अभी इस मसले पर उसने कुछ नही कहा है। केंद्र के अधिकारी मानते हैं कि कोविन बहुत अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है और इसमे सुरक्षा को लेकर भी बेहतर इंतजाम किए गए हैं। केंद्रीय अधिकारी राज्य स्तर पर ऐप या पोर्टल को गैर जरूरी मानते हैं।
ऐप या पोर्टल बनाने के लिए स्वतंत्र हों राज्य
कुछ राज्यों का कहना है कि जब 18 से 45 वर्ष की आयुवर्ग के टीकाकरण में धनराशि राज्य खर्च कर रहे हैं तो वे अपना अलग पंजीकरण करने के लिए अलग ऐप या पोर्टल बनाने के लिए स्वतंत्र होने चाहिए। वहीं छत्तीसगढ़ का कहना है कि 45 वर्ष से ऊपर का पंजीकरण कोविन के जरिए कराने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब इससे कम उम्र का अधिकांश खर्च राज्य वहन कर रहा है तो उसपर केंद्र का ऐप थोपा नहीं जा सकता। उसका कहना है कि राज्य फ्रंट लाइन वर्कर की अलग गिनती करना जरूरी है।
Published on:
11 May 2021 09:21 am
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