
निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज काफी महंगा बताया गया।
नई दिल्ली। कोरोना काल में कई जानें इस कारण चलीं गईं क्योंकि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल सका। इसका सबसे बड़ा कारण है कि सरकारी अस्पताल में जगह न मिलने के बाद लोग निजी अस्पतालों में अपना इलाज नहीं करा सके। निजी अस्पतालों वे इसका खर्च वहन नहीं कर सकते थे।
एक संसदीय समिति ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच सरकारी अस्पतालों में बेड की कमी देखने को मिली। इसका फायदा निजी अस्पतालों ने उठाया। इस महामारी के इलाज के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में निजी अस्पतालों ने काफी बढ़ा-चढ़ाकर पैसे लिए।
समिति ने जोर दिया कि स्थायी मूल्य निर्धारण प्रक्रिया से कई मौतों को टाल सकते थे। स्वास्थ्य संबंधी स्थाई संसदीय समिति के अध्यक्ष राम गोपाल यादव ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को कोरोना महामारी के प्रकोप प्रबंधन को लेकर रिपोर्ट सौंपी।
यह किसी संसदीय समिति की पहली रिपोर्ट है। समिति के अनुसार 1.3 अरब की आबादी वाले देश में स्वास्थ्य पर खर्च बहुत कम है। भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की नाजुकता के कारण महामारी से प्रभावी तरीके से लड़ा नहीं जा सका है। ऐसे में समिति सरकार से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में ज्यादा निवेश की अनुशंसा करती है।
Updated on:
21 Nov 2020 11:31 pm
Published on:
21 Nov 2020 10:49 pm
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