
पुलवामा अटैकः जानिए कैसे हुआ सीआरपीएफ काफिले पर हमला, क्या हुआ था उस दौरान
नई दिल्ली। वो बृहस्पतिवार का दिन था। उस दिन वैलेंटाइंस डे भी था। हालांकि जवानों के लिए इस दिन की बहुत ज्यादा अहमियत नहीं होती क्योंकि वो अपने परिवार-पत्नी-प्रेमिका से दूर ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। 14 फरवरी के दिन तड़के सीआरपीएफ काफिले में शामिल जवानों ने सोचा भी नहीं था कि यह उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दिन साबित होने वाला है। उस दिन कब, कैसे और कहां पर क्या-क्या हुआ, इसकी जानकारी काफिले में शामिल जवानों ने ही दी है।
78 वाहन थे काफिले में
जम्मू से तड़के 2.33 बजे सीआरपीएफ के 76वीं बटालियन के 2500 से ज्यादा जवान बसों में सवार हुए। सभी श्रीनगर में ड्यूटी करके वापस लौट रहे थे। सीआरपीएफ सूत्रों की मानें तो सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के काफिले में 62 वाहन शामिल थे। जब यह काफिला दोपहर 2.15 बजे काजीगुंड पहुंचा तब इसमें 16 और वाहनों को जोड़ा गया और कुल वाहनों की संख्या 78 हो गई।
हाईवे सुनसान था
सूत्रों का कहना है कि ऐसे काफिले को तकरीबन वीरान सड़क से भेज जाना असामान्य सा था। वहीं, बीते कुछ दिनों से खराब मौसम की वजह से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर तकरीबन नगण्य यातायात के चलते सुरक्षा के लिहाज से यह एक आदर्श रणनीति होती। सीआरपीएफ का काफिला काजीगुंड से करीब 60 किलोमीटर पर पुलवामा के लेथपोरा में था।
सेना की बहुलता वाला इलाका
सीआरपीएफ की एक रोड ओपनिंग पार्टी (रोप) होती है जो रोजाना सुबह आईईडी की मौजूदगी जांचने के लिए राजमार्गों की जांच करती है। उस दिन भी वह अपना काम कर चुकी थी। ऐसा लगता है कि इस काफिले की सुरक्षा को करीब-करीब हरी झंडी दे दी गई थी। इस इलाके में सेना की बहुलता है और हाईवे पर हमेशा क्विक रिएक्सन टीम (क्यूआरटी) मौजूद रहती है।
काफिले की पांचवीं बस को मारी टक्कर
सीआरपीएफ का काफिला जैसे ही श्रीनगर से 27 किलोमीटर पहले लेथपोरा पहुंचा, तभी पीछा कर रही विस्फोटकों से भरी एक कार ने काफिले में चल रही पांचवीं बस को बांयीं ओर से टक्कर मार दी। इसके साथ ही जोरदार विस्फोट हुआ और इसमें दूसरी बस को भी नुकसान पहुंचा। इसके बाद इलाके में गोलीबारी की आवाजें भी सुनी गईं, लेकिन किसी को नहीं पता था कि यह गोलीबारी किसने की। गौरतलब है कि अब शहीद जवानों की संख्या बढ़कर 49 हो गई है और दर्जन से ज्यादा घायल हैं।
हर कोई चौंक गया था
इस काफिले में मौजूद सीआरपीएफ के एक जवान ने कहा कि बस से टक्कर होने पर जबरदस्त धमाके ने सभी को चौंका दिया था। वहां केवल अफरा-तफरी और भ्रम की स्थिति थी। मैं वहां केवल धुआं ही धुआं देख पा रहा था।
सीआरपीएफ जवान ने बताया, "हमें हमारे वाहनों में वापस जाने के लिए कहा गया।"
वाट्सऐप से मिली सूचना
वहीं, एक अन्य जवान ने बताया, "हमें वाट्सअप संदेश के जरिए इस विस्फोट के बारे में जानकारी मिली। जैसे ही हम बस से नीचे उतरे, हमने अफरा-तफरी देखी। हमने हमारे साथियों के बुरी तरह से जले और कटे हुए अंग देखे और सुलगती हुई आग देखी।"
जैश ने ली थी जिम्मेदारी
विस्फोट के तुरंत बाद पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली। उसने कहा कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के एक स्थानीय फिदायीन अदिल अहमद डार ने यह हमला किया। इसके साथ ही संगठन ने डार का एक वीडियो भी जारी किया।
एनआईए की जांच जारी
हमले की जांच कर रहे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सूत्रों ने कहा कि डार ने तकरीबन 150 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट (सुपर 90- नामक एक उर्वरक जिसका इस्तेमाल कम तीव्रता के धमाके के लिए किया जाता है) का प्रयोग किया। हालांकि जांच अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए एनआईए सूत्रों ने पुलवामा हमले में आरडीएक्स के प्रयोग या दो विस्फोटकों की संभावना से भी इनकार नहीं किया है।
Updated on:
17 Feb 2019 02:41 pm
Published on:
17 Feb 2019 08:58 am
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