वहीं कोर्ट ने 50 लोगों को रमजान के लिए मरकज में प्रवेश की इजाजत मांगने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्र से भी जवाब मांगा है कि डीडीएमए ( DDMA ) के पाबंदी आदेशों को किस तरह से लागू किया जा रहा है।
यह भी पढ़ेंः Ramadan Mubarak 2021 : यह है 14 अप्रैल के लिए सहरी और इफ्तार का समय कोर्ट के निर्देशों को देखते हुए केंद्र ने सहमति व्यक्त की कि भक्तों को रमजान के महीने में मस्जिद में प्रार्थना करने की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन यह सुनिश्चित किया जाए कि दिल्ली में कोविड -19 मामलों में बढ़ोतरी के चलते सामाजिक भेद को बनाए रखने के लिए भक्तों और मस्जिद प्रबंधन को सख्ती से दिशानिर्देशों का पालन करने की अनुमति दी जाए।
सरकार ने यह भी कहा कि मस्जिद के पदाधिकारियों, कर्मचारियों आदि के नाम, जो रोजाना के कामों का संचालन और प्रबंधन करेंगे, उन्हें क्षेत्र के स्थानीय स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को दिया जाना चाहिए।
इनमें उन लोगों के नाम शामिल हैं जिन्हें पूरे दिन मरकज के अंदर रहने की अनुमति होगी।
इनमें उन लोगों के नाम शामिल हैं जिन्हें पूरे दिन मरकज के अंदर रहने की अनुमति होगी।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार का ये रुख वक्फ बोर्ड की ओर से दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान आया था, जिसमें मरकज को खोलने और 50 लोगों की एंट्री की मांग की गई थी।
दरअसल पिछले वर्ष महामारी के बीच एक तब्लीगी जमात मण्डली का आयोजन किया गया था। कोरोना के केसों में बढ़ोतरी के बाद बाद 31 मार्च, 2020 से इसे बंद कर दिया गया है। कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कोविड-19 के मामलों को देखते हुए भीड़ जमा होने पर केंद्र सरकार से सवाल किया। कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की ओर से भीड़ के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाने के आदेश को पूरी राष्ट्रीय राजधानी में लागू किया जा रहा है या नहीं।
दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कोविड-19 के मामलों को देखते हुए भीड़ जमा होने पर केंद्र सरकार से सवाल किया। कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की ओर से भीड़ के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाने के आदेश को पूरी राष्ट्रीय राजधानी में लागू किया जा रहा है या नहीं।
10 अप्रैल को जारी डीडीएमए के पाबंदी आदेशों को किस तरह से लागू किया जा रहा है और क्या राष्ट्रीय राजधानी में सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक या त्योहार के दौरान भीड़ इकट्ठा होने को इजाजत दी जा रही है।
वक्फ बोर्ड ने कहा- समान लागू नहीं हो रहा DDMA का आदेश
दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि, डीडीएमए की ओर से प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न मंदिरों के बाहर भारी भीड़ देखी जा रही है।
दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि, डीडीएमए की ओर से प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न मंदिरों के बाहर भारी भीड़ देखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि डीडीएमए के आदेश को एकसमान रूप से लागू नहीं किया जा रहा है। वकील ने पूछा कि क्या डीडीएमए आदेश केवल एक विशेष धार्मिक समुदाय पर लागू होता है? यह भी पढ़ेँः Haridwar Kumbh Mela 2021: तीसरा शाही स्नान आज, 13 अखाड़ों समेत लाखों लोग लगाएंगे
ये मिला जवाब
वक्फ बोर्ड के सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा, ‘मेरे पास राजनीतिक या सांप्रदायिक बयान देने का अधिकार नहीं है।’ डीडीएमए का आदेश सभी धर्मों पर लागू है।
वक्फ बोर्ड के सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा, ‘मेरे पास राजनीतिक या सांप्रदायिक बयान देने का अधिकार नहीं है।’ डीडीएमए का आदेश सभी धर्मों पर लागू है।
आपको बता दें कि 24 मार्च को, केंद्र ने कहा था कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को शब-ए-बारात के दौरान मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति दी जा सकती है। दरअसल अनलॉक -1 दिशा-निर्देशों के बाद भी कंटेनमेंट जोन के बाहर धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी गई है। इनमें अलमी मरकज बंगलेवाली मस्जिद, मदरसा काशिफ-उल-बूम और इससे जुड़े छात्रावास शामिल हैं।