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क्या लॉकडाउन- 1 के दौरान पहले से कम रही कोरोना के संक्रमण की दर? लॉकडाउन- 2 से हैं क्या उम्मीदें?

30 जनवरी को सामने आया पहला केस और 11 अप्रैल तक 7529 केस। लॉकडाउन के पहले दिन 606 मामले थे और 10 दिन में 2547 हो गए। लॉकडाउन ना होता तो बेहद भयावह हो सकती थी देश की मौजूदा तस्वीर।

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lockdown and covid-19 cases

lockdown and covid-19 cases

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर भारत ही नहीं दुनिया भर में अब यह धारणा बन चुकी है कि संक्रमण की दर कम करने के लिए लॉकडाउन एक प्रभावी तरीका है। इसके जरिये कोरोना वायरस को वक्त के साथ फैलने से प्रभावी रूप से रोका जा सकता है, जिससे अस्पतालों में भी काफी बोझ नहीं पड़ता और नतीजतन ज्यादा लोगों की जानें बच पाती हैं और अस्पतालों में वाकई गंभीर रोगियों का इलाज हो पाता है। भारत में बीते 25 मार्च को लागू किए गए टोटल लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमण के रोगियों की तादाद में काफी इजाफा तो हुआ है, लेकिन यह कितना है और बिना लॉकडाउन के कितना हो सकता था, जानना जरूरी है ताकि आगे के हालात से वाकिफ हुआ जा सके।

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक भारत में बीते 24 मार्च को जब पीएम मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की तब तक देश में 519 COVID-19 पॉजिटिव केस मौजूद थे। लॉकडाउन के पहले दिन यानी 25 मार्च को 87 मामले बढ़े और संख्या 606 पर पहुंच गई। इसके बाद 26 मार्च को 694 (88 नए केस), 27 मार्च को 834 (140), 28 मार्च को 918 (84), 29 मार्च को 1024 (106), 30 को 1251 (227), 31 को 1397 (146) केस हो गए।

फिर लॉकडाउन के आठवें दिन 1 अप्रैल को 1834 (437), 2 अप्रैल को 2069 (235), 3 अप्रैल को 2547 (478), 4 अप्रैल को 3072 (525), 5 अप्रैल को 3577 (505), 6 अप्रैल को 4281 (704), 7 अप्रैल को 4789 (508), 8 अप्रैल को 5194 (405), 9 अप्रैल को 5865 (591), 10 अप्रैल को 6761 (896) और 11 अप्रैल को 7529 (768) मामले हो गए।

भारत में कोरोना के मामले

बता दें कि भारत मेें पहला कोरोना पॉजिटिव केस 30 जनवरी को केरल में सामने आया, जो फरवरी में बढ़कर तीन हो गए। यह सभी चीन के वुहान से भारत लौटे छात्र थे। इसके बाद 4 मार्च को 22 नए मामले सामने आए, जिनसे यहां पर चिंता बढ़ी। इस दौरान देशभर में विदेशी यात्रा करके लौटे लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया और 15 मार्च को यह आंकड़े 100 पहुंच गए। जबकि 12 मार्च को सऊदी अरब से लौटे 76 वर्षीय एक बुजुर्ग की मौत देश में कोरोना से होने वाली पहली मौत बनी।

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15 मार्च में 100 के बाद 28 मार्च को यह आंकड़ा 1000 पर पहुंचा और 7 अप्रैल को 5000 हजार पर। वहीं, 1 अप्रैल को 50 से बढ़कर 5 अप्रैल को मरने वालों की तादाद 100 पार कर गई। वहीं, मार्च में लॉकडाउन शुरू होने से पहलेे जनता कर्फ्यू वाले दिन दिल्ली स्थित निजामुद्दीन के तबलीगी जमात मरकज से सैकड़ों लोग बाहर निकले। इसके बाद देशभर में तबलीगी जमात में शामिल लोगों के फैलने के चलते यह आंकड़ा बेहद तेजी से बढ़ने लगा।

भारत में राज्यवार आंकड़े

देश में महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिला है। यहां पर अब तक 1574 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं, जिनमें 188 सही होकर या डिस्चार्ज होकर चले गए हैं, जबकि 110 की मौत हो गई। इसके बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है, जहां 911 मामले सामने आए हैं, जिनमें 44 डिस्चार्ज और 8 मौतें हुई हैं। राजधानी दिल्ली इसके बाद है, जहां तबलीगी जमात के चलते बेहद तेजी से संख्या बढ़ी और अब यह 903 केस पर पहुंच चुकी है। इनमें 25 डिस्चार्ज होकर जा चुके हैं, जबकि 14 की मौत हो चुकी है।

इसके बाद राजस्थान का नाम आता है जहां पर अब तक 553 केस, 21 डिस्चार्ज और 3 मौतें हुई हैं। फिर तेलंगाना में 504 केस, 43 डिस्चार्ज और 9 मौत सामने आई हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 433 मामलों में 32 डिस्चार्ज और 4 मौतें हुई हैं।

हालांकि मौतों के मामले में महाराष्ट्र 110 के बाद 33, गुजरात 19, दिल्ली 14, पंजाब 11, तेलंगाना 9, तमिलनाडु में 8 की मौतें हुई हैं। भारत में अब तक कुल 7529 मामले सामने आए हैं, जिनमें 653 लोग डिस्चार्ज हो चुके हैं और 242 लोगों की जानें जा चुकी हैं।

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अगर फिर बढ़ा लॉकडाउन तो...

ऊपर दिए गए आंकड़ों और ग्राफ को देखें, इन्हें देखकर आप यह जान सकते हैं कि भारत में लॉकडाउन के बाद से कोरोना पॉजिटिव केस तेजी से बढ़े तो हैं, लेकिन तबलीगी जमात के लोगों का देशभर में फैलना इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। लॉकडाउन के बाद से बढ़ती संख्या यह दिखाने के लिए भी काफी है कि 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में अभी हालात उतने ज्यादा नहीं बिगड़े हैं, लेकिन अगर लॉकडाउन हटा दिया जाए तो स्थिति काफी भयावह हो सकती है। ताजा मामलों और सरकार द्वारा दिए जा रहे संकेतों की मानें तो लॉकडाउन को बढ़ाना तय है।

अगर लॉकडाउन बढ़ाया भी गया तो भी ऐसा नहीं है कि यह मामले कम होने लगेंगे, इनमें बढ़ोतरी तो होगी, लेकिन बिना लॉकडाउन के यह जितनी तेजी से फैल सकते हैं, उस हिसाब से नहीं फैल सकेंगे।








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