15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजनीति अपराधीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, प्रत्याशी 48 घंटे में दे मुकदमों की जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि अगर किसी उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है या उम्मीदवार किसी मामले में आरोपी है तो उसकी जानकारी भी 48 घंटे (दो दिन) के भीतर देनी होगी।

2 min read
Google source verification
supreme_court

supreme_court

नई दिल्ली। राजनीति के अपराधीकरण से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों की घोषणा के 48 घंटे के भीतर उनसे जुड़ी हर जानकारी सार्वजनिक करें। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अगर किसी उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है या उम्मीदवार किसी मामले में आरोपी है तो उसकी जानकारी भी 48 घंटे (दो दिन) के भीतर देनी होगी। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कई उम्मीदवारों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी गई थी। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।


उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को करना होगा सार्वजनिक
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के आपराधिक रिकॉर्ड पर दिशानिर्देशों को कड़ा किया है और अपने पहले के फैसले में सुधार किया है। जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवई की पीठ ने राजनीति में अपराधीकरण से संबंधित 13 फरवरी 2020 के अपने फैसले में संशोधन करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को चुनाव के लिए चुने गए उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को भी सार्वजनिक करना होगा।

यह भी पढ़ें :— अमेरिका में मासूम बच्चों पर डेल्टा वैरिएंट का कहर, अस्पतालों में भर्ती हुए रिकॉर्ड बच्चे


चुनाव आयोग ने की सख्त कदम उठाने की अपील
चुनाव आयोग ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि जो भी राजनीतिक दल उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करते है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाही की जानी चाहिए। उस राजनीतिक दल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्‍लंघन करने के मद्देनजर पार्टी के चुनाव चिह्न को फ्रीज या निलंबित रखा जाए।

यह भी पढ़ें :— पाकिस्तान : 8 साल के हिंदू बच्चे पर ईशनिंदा का केस, मिल सकती है मौत की सजा

MP/MLA के मुकदमे आसानी से वापस लेनी होगी हाई कोर्ट से मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी राज्य सरकार वर्तमान या पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक केस बिना हाई कोर्ट की मंजूरी के वापस नहीं ले सकती। सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों के तेज निपटारे से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है। इस फैसले के बाद अब राज्य सरकारें जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक केस मनमाने तरीके से वापस नहीं ले सकेगी।