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सीबीआई घूसकांड: सुप्रीम कोर्ट का सीवीसी को 14 दिनों में जांच पूरी करने का आदेश, दीवाली के बाद अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागेश्‍वर राव हर फैसले की जानकारी हमें दें। नागेश्वर राव ने 23 अक्टूबर से अभी तक जो भी फैसले लिए हैं उन सभी को सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपने को कहा है।

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Dhirendra Kumar Mishra

Oct 26, 2018

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सीबीआई घूसकांड: सुप्रीम कोर्ट का सीवीसी को 14 दिनों में जांच पूरी करने का आदेश, दीवाली के बाद अगली सुनवाई

नई दिल्‍ली। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में घमासान चरम पर है। इस मामले में सीबीआई के डायरेक्‍टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से इस मामले की जांच 14 दिनों के अंदर पूरी कर रिपोर्ट बंद लिफाफे में रिपोर्ट देने को कहा है। सीवीसी जांच का काम सुप्रीम कोर्ट के जज के सुपरविजन में करेगी। सुप्रीम कोर्ट में CBI की जंग पर अब दीवाली की छुट्टियों के बाद होगी सुनवाई।

सीवीसी को जांच का जिम्‍मा
सीबीआई घूसकांड मामले में प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा है कि वह इस मामले को देखेंगे। उन्होंने सीवीसी से अपनी जांच अगले 14 दिन में पूरी करने को कहा है। ये जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में होगी। न्‍यायाधीश एके पटनायक की देखरेख में सीवीसी जांच का काम पूरा करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागेश्‍वर राव हर फैसले की जानकारी हमें दें।

नीतिगत फैसला नहीं लेंगे राव
वहीं शीर्ष अदालत ने यह निर्देश दिया है कि नवनियुक्‍त सीबीआई निदेशक नागेश्‍वर राव नीतिगत फैसला नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव की नियुक्ति पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि वह कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकते हैं। वह सिर्फ रूटीन कामकाज ही देखेंगे। नागेश्वर राव ने 23 अक्टूबर से अभी तक जो भी फैसले लिए हैं उन सभी को सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपने को कहा है। इतना ही नहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना पक्ष रखने का भी निर्देश दिया है।

दिल्‍ली पुलिस एक्‍ट लागू करने की मांग
इससे पहले आज आलोक वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। आलोक वर्मा की तरफ से एफएस नरीमन ने जिरह किया। उन्होंने अपनी जिरह में वर्मा के दो साल कार्यकाल के प्रावधान का जिक्र किया। नरीमन ने इस दौरान विनीत नारायण केस का उदाहरण भी दिया। आलोक वर्मा की तरफ से नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस मामले में दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबलिशमेंट एक्ट लागू होना चाहिए।

सीवीसी ने मांगा 21 दिन का समय
बता दें कि दूसरी तरफ आज की सुनवाई से साफ हो गया है कि सीबीआई डायरेक्‍टर आलोक वर्मा की तरफ से सीनियर वकील एफ नरीमन और संजय हेगड़े जिरह करेंगे। स्‍पेशल डायरेक्‍टर राकेश अस्थाना की तरफ से मुकुल रोहतगी और सीवीसी की तरफ से अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल जिरह करेंगे। सीवीसी ने शीर्ष अदालत से तीन सप्‍ताह का समय जांच के लिए मांगा था, लेकिन अदालत ने उन्‍हें दो सप्‍ताह में जांच का काम करने को कहा है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि उन्हें इस मामले के लिए 3 हफ्ते का समय दिया जाए। राकेश अस्थाना की तरफ से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मुकुल रोहतगी को सीजेआई ने कहा कि आपको एक नई याचिका दायर करनी होगी।