
नई दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक के खिलाफ केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संशोधन को लेकर दिए गए आदेश को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि यह आदेश न्यायसंगत है। हमारा फैसला किसी व्यक्ति को यह नहीं कहता कि वह अपराध करे। हां दोषी को सजा जरूर मिले, लेकिन किसी बेगुनाह को सजा क्यों मिले? यह बातेें सुप्रीम कोर्ट ने तब कही जब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट का काम कानून बनाना नहीं है। अब इस मामले की अंतिम सुनवाई 16 मई को होगी।
संशोधित फैसले से पिछड़ रहा है तबका
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने पीठ को बताया कि कोर्ट की तरफ से गिरफ्तारी के पहले विभाग के अधिकारी या एसपी की इजाजत का प्रावधान डालना सीआरपीसी में बदलाव करने जैसा है। उन्होंने कहा, ‘हजारों साल से वंचित तबके को अब जाकर सम्मान मिलना शुरू हुआ है। लेकिन कोर्ट के इस फैसले से ऐसा लग रहा है कि यह तबका फिर से पिछड़ने जा रहा है। यही नहीं संशोधित फैसले से इन तबकों के लिए बुरी भावना रखने वालों का मनोबल भी बढ़ने लगा है।’
हमारा फैसला नहीं कहता कि कोई अपराध करे
अटॉर्नी जनरल से जस्टिस एके गोयल और यु.यु ललित की बेंच ने कहा, हमारा फैसला किसी से ये नहीं कहता कि वो अपराध करे। दोषी को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन बेवजह कोई जेल क्यों जाए? इस एक्ट में अग्रिम जमानत की मनाही थी। यानी शिकायत सही हो या गलत, गिरफ्तारी तय थी।’ जजों ने कहा, ‘बात कानून बनाने की नहीं है। कोर्ट पहले भी कई फैसलों में कानून की व्याख्या कर चुका है। लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हमारी ज़िम्मेदारी है।’
सुनवाई के अंत में केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि फिलहाल फैसले पर रोक लगा देना चाहिए। इस पर पीठ ने 16 मई को सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष उस दिन अपनी जिरह पूरी कर लें।
Published on:
03 May 2018 06:17 pm
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