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देश की सबसे बड़ी अदालत में अनुच्छेद 35ए के खिलाफ दायर नई याचिका पर सुनवाई आज

locationनई दिल्लीPublished: Aug 27, 2018 07:57:04 am

Submitted by:

Saif Ur Rehman

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ भाजपा प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर नई याचिका पर सुनवाई करेगी

SC

देश की सबसे बड़ी अदालत में अनुच्छेद 35ए के खिलाफ दायर नई याचिका पर सुनवाई आज

नई दिल्‍ली। आज देश की सबसे बड़ी अदालत में जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होनी है। सुनवाई तीन सप्ताह बाद शुरू होगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ भाजपा प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दायर नई याचिका पर सुनवाई करेगी, हालांकि मुख्य मामले की सुनवाई सोमवार को नहीं होगी। अब मुख्य मामले की सुनवाई 31 अगस्त को हो सकती है। दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य मामले की सुनवाई 27 अगस्त के लिए तय की थी जहां कोर्ट को तय करना था कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं। आपको बता दें कि अश्विनी उपाध्याय की नई याचिका में कहा गया है कि यह अनुच्छेद दूसरे राज्यों के लोगों से शादी करने वाली जम्मू-कश्मीर की महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट इस अनुच्छेद को रद्द करने की मांग को लेकर दायर कई याचिकाओं पर पहले से ही सुनवाई कर रहा है। बता दें कि पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा था कि तीसरे जज डीवाई चंद्रचूड़ मौजूद नहीं हैं, ऐसे में मामले की सुनवाई 27 अगस्त के लिए टाली जाती है। तीन जजों की पीठ को तय करना है कि इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं। पिछली सुनवाई में कोर्ट में दो जज ही बैठे थे क्योंकि इस मामले की तीन जजों की पीठ सुनवाई करती है। वहीं इससे पहले उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के पंजीयक के समक्ष आवेदन दायर कर सूचित किया है था कि वह राज्य में आगामी पंचायत और नगर निकाय चुनावों के लिए चल रही तैयारियों के मद्देनजर सुनवाई पर स्थगन की मांग करता है। हालांकि इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई गौर नहीं किया था। उधर जब अगस्त की शुरूआत में जब इस मुद्दे पर सुनवाई की जा रही थी तब अलगाववादी और राजनीतिक संगठनों ने दो दिवसीय हड़ताल की थी। उस वक्त हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता बिलाल ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि 35ए के कारण कश्मीर एक है। इसे हटाया गया तो जंग छिड़ जाएगी। भारत सरकार के लिए इस जंग से निपटना आसान नहीं रहेगा।

अनुच्छेद 35 ए को बरकरार रखना जरूरी: मणिशंकर अय्यर

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि अनुच्छेद 35ए को अवश्य ही संविधान के अंग के रूप में रखा जाना चाहिए, ताकि कश्मीर के लोग डर महसूस न करें
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किसने दी 35ए को चुनौती ?
दिल्ली की एक एनजीओ ‘वी द सिटिजंस’ ने शीर्ष अदालत में इस अनुच्छेद को चुनौती दी है। इस मामले में केंद्र सरकार ने पिछले महीने कहा था कि इस अनुच्छेद को असंवैधानिक करार देने से पहले इस पर वृहद चर्चा की जरूरत है। याचिकाकर्ता संगठन का कहना है कि 1954 में राष्ट्रपति ने इस अनुच्छेद को शामिल करने के लिए संविधान में संशोधन नहीं किया था, बल्कि यह सिर्फ एक अस्थायी बंदोबस्त था।
क्‍या है अनुच्छेद 35ए?
अनुच्छेद 35ए राष्ट्रपति के 1954 के आदेश से संविधान में शामिल किया गया था जो जम्मू कश्मीर के स्थानीय निवासियों को विशेष दर्जा प्रदान करता है। इसके अंतर्गत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं। वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में अनुच्छेद 35ए का प्रावधान कर जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार दिया गया था और साथ ही इसके तहत राज्य के बाहर शादी करने वाली महिलाएं राज्य में संपत्ति के अधिकार से वंचित हो जाती हैं। यह अनुच्छेद राज्य के नीति निर्माताओं को राज्य के लिए कानून बनाने की पूरी अजादी देता है, जिसे कानूनी तौर पर चुनौती भी नहीं दी जा सकती।
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