अमर सिंह ने बच्चन परिवार से मांगी माफी, ऐसी है दोनों की दोस्ती की कहानी मीडिया को बाहर करने की अपील बता दें, बुधवार को वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से बात करने के दौरान मीडिया को वहां से बाहर जाने की अपील की थी। वार्ताकारों का कहना है कि मीडिया के सामने सारी बातचीत संभव नहीं है। इस पर प्रदर्शनकारी भी दो गुटों में बंट गए। एक गुट इसे सही मान रहा है, तो दूसरा गलत। इसके बाद वार्ताकार अगले दिन को आने का कहकर वहां से चले गए।
प्रदर्शन के विरोध में जनहित याचिका गौर हो, शाहीन बाग में सीएए, एनपीए और एनआरसी के विरोध में दो महीने से ज्यादा समय से लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन के विरोध में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। नंद किशोर गर्ग और अमित साहनी की ओर से दायर जनहित याचिका में कालिंदी कुंज के पास शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य सक्षम संस्थाओं को निर्देशित करने की अपील की गई थी।
सुशील चंद्रा जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के लिए नामित, माने जाते हैं मोदी के करीबी! अदालत के आदेश पर वार्ताकार नियुक्त याचिका में कहा गया था कि प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली सार्वजनिक सड़क को अवरुद्ध करके शाहीन बाग में लोग अवैध रूप से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 17 फरवरी को तीन वार्ताकारों को लोगों से सड़क खाली करने के लिए बातचीत करने के लिए नियुक्त कर दिया। कोर्ट की ओर से बातचीत के लिए वकील संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को वार्ताकार बनाया गया। इसके अलावा अदालत ने पुलिस और सरकार को भी प्रदर्शनकारियों से बात करने का आदेश दिया था।
प्रदर्शनकारियों को पढ़कर सुनाया गया अदालत का आदेश बुधवार को शाहीन बाग पहुंचे वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से कहा था कि- हम यहां फैसला सुनाने नहीं बल्कि बात करने आए हैं। साधना रामचंद्रन ने कहा कि आंदोलन से लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। प्रदर्शन करना सबका हक है। संजय हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां आए हैं। हम सभी से बात करने की उम्मीद करते हैं। हम हर किसी के सहयोग से मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। इस दौरान संजय हेगड़े ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़कर प्रदर्शनकारियों को सुनाया।
जामिया के छात्र ने 2 करोड़ का मांगा मुआवजा, हाईकोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस प्रदर्शन में शामिल नहीं है कोई आधिकारिक संस्था उधर, शाहीन बाग में चल रहे धरना प्रदर्शन में कोई नेतृत्व कारने वाला नहीं है। इसलिए यह सवाल भी उठ रहा है कि वार्ताकारों से बात कौन करेगा? लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद खुशी जताई थी, लेकिन नेतृत्व न होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति वार्ताकारों से बात करना चाहता है।