
नई दिल्ली। फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में दृष्टि बाधित लड़की की भूमिका कर अंग दान का संदेश देने वाली रिव्यानी अपनी वास्तविक जिंदगी में भी दुनिया से रुखसत होते-होते मिसाल पेश कर गई। छह साल की इस मासूम ने उन शब्दों को हकीकत में बदल दिया जिस पर उसे जमकर वाहवाही मिली थी। दरअसल, रिव्यानी के पिता ने उसकी मौत के बाद उसके अंगों को दान कर दिया और साथ ही एक भावुक संदेश भी दिया।
...एक रिव्यानी कई लोगों को दे गई जिंदगी
रिव्यानी की आंखें नागपुर के एक आई बैंक में दान की गईं। नागपुर में ही बच्ची की किडनियां, लिवर और दिल भी दान किया गया। बच्ची का दिल ठाणे में एक तीन साल की बच्ची को दिया गया। वहीं लिवर 40 साल के एक शख्स को ट्रांसप्लांट किया गया। किडनियां नागपुर में 14 साल के एक बच्चे को लगाई गईं।
मुश्किल घड़ी में पिता ने पेश की मिसाल
रिव्यानी के पिता राधेश्याम राहंगडाले महाराष्ट्र गोंदिया जिला स्थित देवरी में पुलिस ड्राइवर हैं। उन्होंने कहा, 'जब डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरी बेटी ब्रेन डैड है। यह सुनने के बाद सबसे पहले मेरे मन में आया कि उसके बाकी अंगों में जान है, तो क्यों ना उन्हें जिंदा रखा जाए? मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था लेकिन 12 मिनट में मैंने उसके अंगों को दान करने का फैसला कर लिया था।' इससे पहले उन्होंने अपनी पत्नी आरती से फोन पर बात भी की। उन्होंने भी तुरंत इस पर सहमति जताई। राधेश्याम बताते हैं कि जब आप कोई अच्छी पहल करते हैं तो लोग उसका अनुसरण करते हैं।
डॉक्टर की भी छलक गईं आंखें
रिव्यानी का इलाज करने वाले डॉक्टर नीलेश अग्रवाल ने कहा, 'मैंने अपने पूरे करियर में राधेश्याम और आरती जैसे माता-पिता नहीं देखे। मैंने उन्हें गले लगाया और बच्ची के सिर पर हाथ रखकर उसे आशीर्वाद दिया। जब मैं घर गया तो बहुत रोया।' तीन साल के जिस बच्चे को रिव्यानी का दिल लगाया गया, उसके माता-पिता को राधेश्याम ने कहा कि वे हर साल 5 मई को उनके बच्चे के साथ रिव्यानी का जन्मदिन मनाना चाहते हैं।
...क्या हुआ था रिव्यानी के साथ?
18 अप्रैल को रिव्यानी अपने चाचा-चाची के साथ पैतृक गांव से लौट रही थी। इसी दौरान सड़क किनारे खड़े होकर पानी पीने के दौरान एक बाइक से उसका एक्सीडेंट हो गया। इस दौरान कई लोग मौके से गुजरे लेकिन किसी ने मदद नहीं की। काफी देर बाद एक युवक ने उनकी मदद की और बच्ची को बेहोशी की हालत में देवरी के एक अस्पताल पहुंचाया गया। वहां से चाचा-चाची उसे गोंदिया के एक अस्पताल ले गए, जहां से उसे नागपुर रैफर कर दिया गया। 19 अप्रैल को उसे न्यू ईरा हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। जहां करीब एक हफ्तेभर की मशक्कत के बाद डॉक्टर ने परिजनों को कहा कि अब उसे बचाने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है। इसके बाद उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। तभी रिव्यानी के पिता ने अंगदान का फैसला लिया।
Published on:
29 Apr 2018 03:27 pm
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