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सोली सोराबजी ने क्‍यों कहा कि नायडू ने महाभियोग याचिका को खारिज कर दिखाई समझदारी?

पूर्व अटॉर्नी जनरल ने चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के महाभियोग प्रस्‍ताव को खारिज करने के निर्णय को तर्कपूर्ण और विवेकसम्‍मत करार दिया है।

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नई दिल्‍ली। भारत के प्रसिद्ध न्‍यायवादी और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने सोमवार को राज्‍यसभा के अध्‍यक्ष एम वेंकैया नायडू के फैसले को समझदारी भरा कदम करार दिया है। उन्‍होंने कहा कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्‍ताव का नोटिस देकर कांग्रेस ने गलत परंपरा की शुरुआत की। लेकिन सभापति नायडू ने इसपर पहले चरण में ही रोक लगाकर न्‍याय प्रणाली पर एक धब्‍बा लगने से बचा लिया है। उन्‍होंने इस मामले में अपने दिमाग कk प्रभावी इस्‍तेमाल किया और एक संवैधानिक संकट पैदा होने से बचा लिया।

कांग्रेस का प्रस्‍ताव विचार योग्‍य नहीं
सोराबजी ने कहा कि उपराष्‍ट्रपति नायडू ने प्रस्‍ताव को खारिज करने से पहले उस पर विचार किया। उन्‍होंने संविधान के विशेषज्ञों से इस बारे में सलाह लेने का भी काम किया। उसके बाद विभिन्‍न पहलुओं पर विचार किया। उन्‍होंने इस प्रक्रिया में कांग्रेस के प्रस्‍ताव को तर्कहीन, तथ्‍यहीन और राजनीतिक पाया। उसके बाद वो यहां तक पहुंचे हैं। उन्‍होंने इस मसले को अनिश्चितकाल तक के लिए टालने के बदले तत्‍काल इसका समाधान निकालने का गंभीर प्रयास किया है। जब उन्‍हें कांग्रेस के तर्कों में दम नहीं मिला तो उन्‍होंने कांग्रेस के नोटिस को खारिज करना बेहतर समझा।

चुनौती देने की संभावना कम
उन्‍होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस राज्‍यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के फैसले को चुनौती देने का काम नहीं करेगी। अगर उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट में ऐसा करने का फैसला किया तो उन्‍हें वहां पर भी मुंह की खानी पड़ेगी। मुझे लगता है कि कांग्रेस इसे और तूल देने की कोशिश नहीं करेगी। उन्‍होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि नायडू का यह तर्क भी काबिलेतारीफ है कि आधारहीन तर्कों के आधार पर प्रस्‍ताव को स्‍वीकृति देकर लोकतंत्र के तीन खंभों में से एक को और ज्‍यादा कमजोर नहीं कर सकते। आपको बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्‍व में सात विपक्षी दलों ने पिछले हफ्ते भारत के चीफ जस्टिस के खिलाफ पांच आधार गिनाते हुए महाभियोग का प्रस्‍ताव नायडू के समक्ष रखा था।