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नई दिल्ली। संत दादा जेपी वासवानी का गुरुवार को निधन हो गया है। वासवानी 99 साल के थे और अगस्त में 100 साल के होने वाले थे। आध्यात्मिक गुरू वासवानी लंबे समय से अस्थ्वास्थ चल रहे थे। साधु वासवानी मिशन के प्रमुख थे। वासवानी का जन्म दो अगसत 1918 को हैदराबाद में हुआ था। वह एक भारतीय गैर-सांप्रदायिक आध्यात्मिक नेता थे। उन्होंने पूरे जीवन शाकाहार और पशु अधिकारों के लिए काम किया। वासवानी अपने साधु वासवानी मिशन के आध्यात्मिक प्रमुख थे। जानकारी के अनुसार वासवानी ने विभिन्न विषयों पर 150 से अधिक किताबे लिखी हैं।
तीन बहनें और चार भाई थे
वासवानी ने अपनी बेसिक शिक्षा केवल तीन सालों में ही पूरी कर ली थी। जिसके बाद उनका दाखिला अंग्रेजी मीडियम स्कूल में कराया गया था। जब वह हाईस्कूल में थे तो पिता का साया उनके सिर से उठ गए। ऐसे में उनका परिवार घोर आर्थिक संकट में फंस गया और उनको सरकार स्कूल में पढ़ाई शुरू करनी पड़ी। उनका पार्थिव शरीर पुणे स्थित उनके मिशन मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। परिवार में वासवानी के अलावा और सात भाई-बहन थे, जिनमें तीन बहनें और चार भाई थे।
वासवानी के पिता हैदराबाद में ही टीचर थे
वासवानी के पिता हैदराबाद में ही टीचर थे। आपको बता दें कि पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने वासवानी के 99वें जन्मदिन पर वीडियो कॉन्फ्रेंस कर लोगों को संबोधित किया था। उनके निधन की पुष्टि मिशन की ओर से गुरुवार सुबह की गई। मिशन की ओर से कहा गया कि पवित्र गुरुवार दिवस 12 जुलाई को हमारे प्रिय दादा वासवानी हमें छोड़कर चले गए।
Updated on:
12 Jul 2018 03:04 pm
Published on:
12 Jul 2018 11:49 am
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