
नई दिल्ली। बता 17वीं सदी में बसे राजस्थान के जयपुर की हो या फिर विश्व प्रसिद्ध जंतर मंतर की..इन सबके पीछे एक ऐसा नाम है जिसे दुनिया चाहकर भी नहीं भूल सकती। हम बात कर रहे हैं 3 नवंबर 1688 में जन्में सवाई जयसिंह द्वितीय की। जो भारत के सर्वाधिक प्रतापी शासकों में से एक थे। जिनका निधन 21 सितंबर 1743 को सिर्फ 55 वर्ष की आयु में हुई, लेकिन इतने वर्षों में ही उन्होंने भारत को अपनी दूरदर्शिता से कलात्मकता के चरम पर पहुंचा दिया।
सर्व कलाओं से संपन्न थे सवाई जयसिंह द्वितीय
काशी, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और जयपुर में अतुलनीय और अपने समय की सर्वाधिक सटीक गणनाओं के लिए जानी गयी वेधशालाओं के निर्माता, सवाई जयसिंह एक नीति-कुशल महाराजा और वीर सेनापति ही नहीं, जाने-माने खगोल वैज्ञानिक और विद्याव्यसनी विद्वान भी थे।
पहाड़ों से उतारकर बसाया जयपुर
सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1726 में अपनी अजमेर रियासत के पहाड़ों पर एक गुलाबी नगर बसाई। जो आज जयपुर के नाम से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। बेशक जयपुर आज राजस्थान की राजधानी है लेकिन प्राचीन समय में रजवाड़ों की भी राजधानी रह चुकी है।
जयपुर की आज पूरी दुनिया दिवानी है
तीन तरफ से अलावरी पर्वतमाला से घिरा जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। महलों, पुराने घरों और गुलाबी धौलपुरी पत्थरों के लिए पूरी दुनिया इसका दीदार करना चाहती है।
गुलाबी है ये शहर
यह शहर प्रारंभ से ही 'गुलाबी' नगर नहीं था बल्कि अन्य सामान्य नगरों की ही तरह था, लेकिन 1876 में जब वेल्स के राजकुमार आए तो महाराजा रामसिंह (द्वितीय) के आदेश से पूरे शहर को गुलाबी रंग से जादुई आकर्षण प्रदान करने की कोशिश की गई थी। उसी के बाद से यह शहर 'गुलाबी नगरी' के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
जयसिंह की स्थापत्य का मुजाहिरा
सवाई जयसिंह द्वितीय दिल्ली के अलावा काशी, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और जयपुर में अपनी कौशल का ऐसा मुजाहिरा दिखाया कि दुनिया आजतक उसे निहार रही है।
दंग करता है जंतर मंतर
बता अगर जयपुर के जंतर मंतर यानि वेधशाला की करें तो इसका निर्माण 1720 से 1738 तक हुआ। जिसमें विभिन्न ज्यामितीय प्रकार के 19 उपकरण हैं। जिसका उपयोग समय, ग्रहण की भविष्यवाणी और नक्षत्रों की जानकारी के लिए करते हैं। हवा महल के पास बने इस जंतर मंतर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में भी शामिल किया गया है।
सदियों तक कायम रहेगा कला का नमूना
जंतर मंतर को इस तरह बनाया गया है कि इसकी उपयोगिता हमेशा रहेगी। आज भी इसका इस्तेमाल मानसून की तीव्रता, बाढ़, अकाल की संभावनाओं के लिए किया जा सकता है।
Published on:
21 Sept 2017 05:15 pm
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