
50 पैसे के सिक्के ढूंढने में जुटे हैं सुप्रीम कोर्ट के कई वकील
नई दिल्ली। चवन्नी और अठन्नी को तो शायद आप भूल ही चुके होंगे, क्योंकि ये अब चलन में ही नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के एक वकील इन दिनों 50 पैसे के सिक्कों ( 50 Paisa Coin )यानी बोल चाल की भाषा में जिसे अठन्नी कहते हैं, ढूंढने में जुटे हैं। 50 पैसे ढूंढने की वजह भी काफी दिलचस्प है। दरअसल वकील ( Lawyer ) को अपने दोस्त और साथी वकील पर लगे जुर्माने को चुकाने के लिए अठन्नी जमा करना पड़ रही है।
लेकिन इनके सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि ये सिक्का वर्तमान में बजार में चलता नहीं, ऐसे में इसे जमा करने में वकीलों को बड़ी दिक्कत हो रही है। आईए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के वकील अपने एक साथी वकील पर लगे सौ रुपये के जुर्माने को भरने के लिए इन दिनों 50 पैसे के सिक्के जुटाने में लगे हैं।
200 में से जमा हुए 75 सिक्के
जुर्माना भरने के लिए कुल 200 सिक्के चाहिए जिसमें से अब तक 75 सिक्के ही जमा हो सके हैं। जब 200 सिक्के यानी 100 रूपये इकट्ठा हो जाएंगे तो सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा होंगे।
सांकेतिक विरोध
ये वकीलों का एक सांकेतिक विरोध है जो कि सुप्रीम कोर्ट के वकील रीपक कंसल पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से 100 रुपये जुर्माना लगाने के खिलाफ है।
ये है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट के वकील रीपक कंसल ने कोर्ट की रजिस्ट्री पर आरोप लगाया था कि रजिस्ट्री बड़े वकीलों और प्रभावशाली लोगों के मामलों को अन्य लोगों के मुकाबले सुनवाई लिस्ट में पहले शामिल कर लेती है।
वकील कंसल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के सेक्शन ऑफिसर कोर्ट रजिस्ट्री नियमित रूप से कुछ लॉ फॉर्म्स, प्रभावशाली वकीलों और उनके मामलों को 'वीवीआईपी ट्रीटमेंट' देते हैं जो सुप्रीम कोर्ट में न्याय पाने के समान अवसर के खिलाफ है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि सुनवाई के लिए मामलों को लिस्ट करने में 'पिक एंड चूज' नीति को ना अपनाया जाए और कोर्ट रजिस्ट्री को निष्पक्षता और समान व्यवहार का निर्देश दिए जाएं।
कोर्ट ने खारिज की अपील और लगाया जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एम. आर. शाह की बेंच ने रीपक कंसल की याचिका में लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए 100 रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा था कि रजिस्ट्री के सभी सदस्य दिन-रात आपके जीवन को आसान बनाने के लिए काम करते हैं, आप उन्हें निराश कर रहे हैं।
आप इस तरह के आरोप कैसे लगा सकते हैं? रजिस्ट्री हमारे अधीनस्थ नहीं है, वो बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा हैं।
कंसल के खिलाफ कोर्ट की ओर से जुर्माना लगाने के फैसले का सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील सांकेतिक विरोध कर रहे हैं। उनको लगता है कि रीपक कंसल ने अपनी याचिका में जो बातें कही थीं वो सही हैं, ऐसे में कोर्ट ने उन पर जुर्माना लगाकर ठीक नहीं किया है।
बनाया Contribute Rs 100 ग्रुप
इसी सांकेतिक विरोध के लिए वकीलों ने 100 रुपये इकट्ठा करने के लिए चंदा जुटाना शुरू किया है। इसके लिए व्हाट्सएप पर 'Contribute Rs 100' नाम से एक ग्रुप बनाया गया है. जिसमें अब तक 125 से अधिक वकीलों ने रीपक कंसल को सपोर्ट करने की बात कही है ।
Published on:
16 Jul 2020 03:58 pm
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