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Supreme Court: अवमानना मामले में सीनियर वकील Prashant Bhushan दोषी करार, 20 अगस्त को सजा पर सुनवाई

Contempt Case में Supreme Court ने की बड़ी कार्यवाही
Senior lawyer Prashant Bhushan अवमानना मामले में दोषी करार
अब सजा पर 20 अगस्त को होगी सुनवाई

नई दिल्लीAug 15, 2020 / 08:45 am

धीरज शर्मा

Senior Lawyer Prashant Bhushan

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ( Prashant Bhushan ) के अवमानना मामले में बड़ी फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने प्रशांत भूषण को अवमानना ( Contempt Case ) का दोषी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर अक्सर तल्ख टिप्पणियां करने वाले वकील प्रशांत भूषण की मुश्किल बढ़ सकती है। कोर्ट ने अपने फैसले में प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सजा पर सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी है।
सर्वोच्च अदालत में इस मामले में सजा पर सुनवाई 20 अगस्त को होगी। न्यायपालिका के प्रति कथित रूप से दो अपमानजनक ट्वीट करने को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ स्वत: शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।
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सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने अपमानजनक ट्वीट करने को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में उन्हें दोषी करार दिया है। खास बात यह है कि इस मामले में सजा पर सुनवाई 20 अगस्त को होगी।
ये है मामला
दरअसल सीनीयिर वकील प्रशांत भूषण ने देश के सर्वोच्च न्यायलय और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था। 27 जून को जहां प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ किया वहीं दूसरा चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था।
एक ट्वीट में उन्होंने पिछले 4 चीफ जस्टिस पर लोकतंत्र को तबाह करने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था, जबकि दूसरे ट्वीट में उन्होंने बाइक पर बैठे मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
इसके बाद 22 जुलाई को सर्वोच्च अदालत की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया गया।

न्यायालय ने पांच अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उन दो ट्वीट का बचाव किया था, जिसमें अब कोर्ट ने मान लिया है कि इससे अदालत की अवमानना की गई है।
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ये था प्रशांत भूषण का तर्क
उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते। न्यायालय ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

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