
कोरोना संक्रमित शवों से गलत व्यवहार पर सु्प्रीम सुनवाई
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस ( coronavirus ) का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 2 लाख 90 हजार के पार हो चुकी है, जबकि इस घातक वायरस की चपेट में आकर 8,102 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। एक तरफ कोरोना की मार की वजह से लगातार लोगों की मौत हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ कई अस्पतालों में कोरोना संक्रमित ( Asymptomatic Corona patients ) शवों के साथ दुर्व्यवहार ( Misbehave ) का मामला भी सामने आया है।
कोरोना संक्रमित शवों के साथ गलत बर्ताव के मामलों को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने संज्ञान लिया है। इन्हीं मामलों को लेकर शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि दिल्ली में टेस्टिंग कम क्यों हो गई है? साथ ही अस्पतालों में शवों के रखरखाव को लेकर भी अदालत ने सरकार की खिंचाई की। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा दिल्ली में जिस तरह से शवों का रखरखाव किया जा रहा है, वह काफी दुख देने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी करने के साथ ही राज्यों के साथ केंद्र से जवाब मांगा। अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
कोरोना संक्रमित शवों के साथ दुर्व्यवहार मामले को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश ( CJI ) एसए बोबडे ( S A Bobde )ने संज्ञान लिया है। सीजेआई ने इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस, एम. आर शाह की बेंच को सौंपी है।
दरअसल पिछले दिनों कोरोना रोगियों के शवों का अनादर करने वाली कई रिपोर्ट सामने आईं जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
शवों के साथ हो रहे गलत बर्ताव को लेकर पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनसे इस मामले पर संज्ञान लेने का आग्रह किया था।
आपको बता दें कि पंडित परमानंद कटारा मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और न्यायपूर्ण उपचार का अधिकार केवल एक जीवित व्यक्ति को ही नहीं उसके मृत शरीर को भी है।
दिल्ली में कोरोना टेस्टिंग 7 हजार से घटकर 5000 होने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में शवों के रखरखाव की हालात काफी खराब है। कई परिजनों को उनके अपनों की मौत की जानकारी ही नहीं दी जा रही है।
वहीं शवों के रखरखाव को लेकर सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार की ओर से गाइडलाइन्स जारी की गई हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज को लेकर सरकारों की ओर से काम किया जा रहा है।
सॉलिसिटर जनकर के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के बाद भी अगर राज्य इन्हें लागू नहीं कर रहे हैं तो आप क्या कर रहे हैं? एक राज्य में लाश गटर में मिली। सरकार के पास बेड हैं तो फिर सरकारी अस्पतालों की स्थिति क्या है?
राज्यों के साथ केंद्र को भेजा नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर राज्यों के साथ केंद्र सरकार को भी नोटिस भेजा है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल को नोटिस जारी कर दिया है, इसमें सरकारी अस्पतालों की स्थिति को लेकर सवाल उठाए हैं।
इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों के डायरेक्टरों को नोटिस जारी किया गया है। सभी को मरीजों की देखभाल की जानकारी अदालत को देनी होगी।
इतना नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भी नोटिस जारी करते हुए एक विस्तृत जवाब मांगा है, जिसमें मरीजों की देखभाल की पूरी गाइडलाइन्स दी जाएं. इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
आपको बता दें कि देशभर के कई हिस्सों से कोरोना संक्रमित शवों के साथ गलत बर्ताव की खबरें सामने आई हैं। पुद्दुचेरी का एक वीडियो जमकर वायरस भी हुआ। इस वीडियो में सरकारी कर्मचारी कोरोना रोगी के शव को कब्र में फेंकते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर जमकर बवाल भी हुआ। कई लोगों ने इसकी जमकर आलोचना की।
इतना ही नहीं कई ऐसे भी मामले सामने आए जिनमें परिजनों ने भी कोरोना संक्रमित के शव को अंतिम संस्कार के लिए लेने से इनकार कर दिया। वहीं कोलकाता से भी कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई जिसमें अस्पताल के कर्मचारी कोरोना मरीज के शव को अमानवीय तरीके से ले जा रहे थे। ऐसे मामलों के बढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस पर संज्ञान लिया है।
Updated on:
12 Jun 2020 01:19 pm
Published on:
12 Jun 2020 01:06 pm
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