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SC ने स्वीकारी अयोध्या में ब्रिटिश साम्राज्य से पहले राम चबूतरा की बात, सीता रसोई की पूजा के सबूत

सुप्रीम कोर्ट ने माना अयोध्या में अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू राम चबूतरा, सीता रसोई की पूजा करते थे प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आस्था के आधार पर फैसले नहीं लिए जा सकते हैं अदालत ने कहा कि रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं है, जो कानून के दायरे में आता हो

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नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू राम चबूतरा, सीता रसोई की पूजा करते थे।

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प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आस्था के आधार पर फैसले नहीं लिए जा सकते हैं। हालांकि यह विवाद सुलझाने के लिए संकेतक हो सकता है। अदालत को लोगों की आस्था को स्वीकार करना होगा और संतुलन बनाना होगा। अदालत ने कहा कि रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं है, जो कानून के दायरे में आता हो।

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अदालत ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा जताते हुए कहा कि इस पर शक नहीं किया जा सकता। पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल में राम चबूतरा और सीता रसोई में पूजा हुआ करती थी। इसके सबूत हैं कि हिंदुओं के पास विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर कब्जा था।

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अदालत ने माना कि हिंदू इसे भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं। मुस्लिम इसे मस्जिद कहते हैं। हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम केंद्रीय गुंबद के नीचे जन्मे थे। यह व्यक्तिगत आस्था की बात है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए अलग जमीन दी जाए।


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