Tabligi Jamaat Case: सबूत के अभाव में कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, सभी 36 विदेशियों को किया बरी
- Tabligi Jamaat Case 14 देशों के 36 विदेशियों को बड़ी राहत
- दिल्ली कोर्ट ने इन नागरिकों को सभी आरोपों से किया बरी
- दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के कार्यक्रम को कोरोना वायरस फैलाने वाला बड़ा कलस्टर माना गया था

नई दिल्ली। तबलीगी जमात (Tabligi Jamaat ) से जुड़े 36 विदेशी शहरियों को दिल्ली की अदालत से बड़ी राहत मिली है। कोरोना वायरस एक्ट की खिलाफवर्जी के इल्जाम में सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, लेकिन दिल्ली की साकेत अदालत ने उन्हें सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने 14 देशों के इन नागरिकों को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
वहीं अदालत ने दिल्ली पुलिस को पुख्ता सबूत न दे पाने के चलते फटकार भी लगाई है। आपको बता दें कि इससे पहले भी सैंकड़ों जमाती जुर्माना भरने या बरी होने के बाद अपने मुल्क वापिस जा चुके हैं।
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इन धाराओं में तय किए थे आरोप
अदालत ने विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए थे। इनमें 24 अगस्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (सरकारी सेवक द्वारा लागू आदेश का पालन नहीं करना), 269 (संक्रमण फैलाने के लिए लापरवाही भरा कृत्य करना) और महामारी कानून की धारा तीन (नियमों को नहीं मानना) के तहत विदेशियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। आपदा प्रबंधन कानून, 2005 की धारा 51 के तहत भी उनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे।
कोर्ट ने किया आरोप मुक्त
दिल्ली कोर्ट ने विभिन्न धाराओं में लगे आरोपों के बीच सभी को मुक्त कर दिया है। इनमें विदेशी कानून की धारा 14 (एक) (बी)(वीजा नियमों का उल्लंघन), आईपीसी की धारा 270 (संक्रमण फैलाने के लिए लापरवाही भरा कृत्य करना) और 271 (आइसोलेशन के नियमों को नहीं मानना) के तहत उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
सबूत के अभाव में किया बरी
आपको बता दें कि इससे पहले अदालत ने ठोस सबूत नहीं मिलने पर छह देशों के आठ विदेशी नागरिकों को भी आरोपमुक्त कर दिया था। उनके खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किए गए थे।
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के कार्यक्रम को कोरोना वायरस को फैलाने वाला बड़ा कलस्टर माना गया था। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में केस दर्ज किए गए थे।
बॉम्बे कोर्ट ने भी आरोप किए खारिज
इस दौरान उन पर आरोप थे कि लॉकडाउन की पाबंदियों के बाद भी वे विभिन्न मस्जिदों में गए और लोगों से मिले थे। हालांकि इस मामले में बॉम्बे कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ मीडिया में प्रोपेगेंडा चला।
कोर्ट ने कहा था कि ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई, जिसमें देश में कोरोना फैलाने के लिए इन्हीं लोगों को जिम्मेदार बनाने का प्रयत्न किया गया। कोर्ट ने तबलीगी जमात में शामिल विदेशियों सहित कई लोगों के खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज कर दिया था।
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