
तेलंगाना: 700 पदों के लिए 10 लाख आवेदन, बाबू की नौकरी के लिए इंजीनियर, पीएचडी डिग्रीधारी भी शामिल
हैदराबाद। केंद्र सरकार या राज्य सरकारें यह दावा करते हुए नहीं थकती कि युवाओं को रोजगार देने के मामले में उसकी सरकार सबसे अव्वल हैं। लेकिन तेलंगाना से आई एक खबर ने सरकार के तमाम दावों और वादों की पोल खोलकर रख दी है। देश में बेरोजगारी का आलम यह हो गया है कि एक नौकरी के लिए लाखों दावेदार सामने आ खड़े होते हैं। दरअसल तेलंगाना सरकार ने 700 नौकरियों के लिए आवेदन मांगे थे जिसपर 10 लाख से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया है। सबसे हैरानी की बात यह है कि इन आवेदको में सैंकड़ों पीएचडी, एमफिल और इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी युवा शामिल है। लाखों ऐसे युवा है जिनके पास पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट डिग्रियां हैं, जबकि यह आवेदन ऐसे पदों के लिए मांगा गया था जिसके लिए सिर्फ 12वीं पास करना ही काफी है। बता दें कि कुछ ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिला था जब चपरासी की नौकरी के कुछ पदों के लिए लाखों लोगों ने आवेदन किया था जिसमें पीएचडी और एमफिल डिग्रीधारी युवा भी शामिल थे।
80 फीसदी युवाओं ने दी परीक्षा
आपको बता दें कि तेलंगाना राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष घंटा चक्रपाणि ने यह स्वीकार किया है कि इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आना अपने आप में अभूतपूर्व है। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि तेलंगाना या फिर समूचे दक्षिण भारत में कभी भी किसी जुनियर लेवल पद के लिए तरह से हाई क्वालिफाइड युवाों ने आवेदन किया हो। बता दें कि बीते रविवार को ग्राम राजस्व अधिकारी (वीआरओ) पद के लिए अर्ज़ी देने वाले 10.58 लाख युवाओं में से लगभग 80 फीसदी ने परीक्षा दी। जिसमें ये बात सामने आई है।
कितने पीएचडी कितने एमफिल
आपको बता दें कि तेलंगाना राज्य लोकसेवा आयोग के पास एक अनूठा सॉफ्टवेयर है, जो कि वन टाइम रजिस्ट्रेशन (ओटीआर) कहलाता है। इसके माध्यम से आवेदकों का विश्लेषण कर डेटा तैयार किया जाता है। इस नए डेटा से पता चला है कि ग्राम राजस्व अधिकारी (वीआरओ) पद के लिए अर्ज़ी देने वाले 10.58 लाख युवाओं में से 372 पीएचडी, 539 एमफिल, 1.5 लाख पोस्ट ग्रेजुएट और चार लाख से ज्यादा ग्रेजुएट शामिल हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि चार लाख ग्रेजुएट आवेदकों में से 2 लाख इंजीनियर हैं।
Published on:
18 Sept 2018 05:28 pm
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