
आतंकवादी इंटरनेट बेस्ड मैसेज के बदले रिकॉर्डेड मैसेज के जरिए ग्राउंड वर्कर अपनी पहुंच बना रहे हैं।
नई दिल्ली। सुरक्षा बलों के जवान जहां जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का समूल खात्मे में जुटी है वहीं आतंकी भी सेना के सीधे निशाने पर आने से बचने के लिए नई तरकीब ढूंढ निकाली है। इस रणनीति के तहत अब घाटी के आतंकवादी नापाक मुहिम को अंजाम देने के लिए इंटरनेट बेस्ड मैसेज के बदले रिकॉर्डेड मैसेज का सहारा लेने लगे हैं।
सेना की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक अब आतंवादियों ने मोबाइल का प्रयोग बातचीत और इंटरनेट मैसेज के लिए बहुत कम कर दिया है। इसके बदले आतंकवादी अपने ग्राउंड वर्क तक गुप्त बात पहुंचाने के लिए रिकार्डेड मैसेज का सहारा ले रहे हैं।
यहां तक कि कई बार गांववालों को धमकाने के लिए भी इस तरीके के इस्तेमाल की सूचनाएं सामने आई हैं। जानकारी के मुताबिक नए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके आतंकी सुरक्षाबलों को चकमा देने में लगे हैं।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। आतंकी खुद की मुहिम को अंजाम देने के लिए समय—समय पर रणनीति में पहले भी बदलाव करते रहेे हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा बलों ने भी तकनीकी के अलावा ह्यूमन इंटेलिजेंस का सहारा लेने का काम शुरू कर दिया है।
बता दें कि पुलवामा हमले में शामिल हैंडलर पीयर-टु-पीयर सॉफ्टवेयर सर्विस से आपस में जुड़े हुए थे। इस बात की जानकारी पुलवामा हमले के तुरंत बाद मोबाइल टॉवर्स से डायवर्ट हुई फोन कॉल्स को ट्रेस करने के प्रयास के क्रम में मिली थी। जांच एजेंसियों ने आस पास के 12 और मोबाइल टॉवर की भी जांच की थी।
जांच एजेंसियों को इन मोबाइल टॉवर से डाइवर्ट हुए फोन कॉल्स से कुछ बुनियादी जानकारी तो मिली, लेकिन हैरानी की बात ये थी कि पुलवामा हमला करने वाले आतंकियों का कोई कॉल रिकॉर्ड इन टॉवर्स से गुजरे मोबाइल कॉल्स में नहीं था। गहराई से इस बात की छानबीन करने पर पता चला था कि आतंकी पी टू पी सॉफ्टवेयर सर्विस से एसएमएस नहीं करते है। उसके बाद पहली बार रिकॉर्डेड मैसेज के जरिए ग्राउंड वर्कर तक अपनी बात पहुंचाने का मामला सामने आया है।
Updated on:
02 Oct 2020 02:31 pm
Published on:
02 Oct 2020 02:23 pm
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