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ये पांच रियासतें भारत में नहीं करना चाहती थीं विलय

देशी आजादी के बाद पांच रियासतों ने खुद का भारत में विलय से इनकार कर दिया था।

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Independence Day Special

ये पांच रियासतें भारत में नहीं करना चाहती थीं विलय

नई दिल्लीः जैसे कि आप सभी को पता है कि भारत को आजादी अंग्रेजों से काफी संघर्ष के बाद मिली थी। आजादी की लड़ाई में नेता जी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे न जाने कितने वीरों ने कुर्बानी दी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कौन भूल सकता है जिनकी वजह से देश स्वतंत्र हुआ। ऐसे न जाने कितने नेता थे जो देश की आजादी के पहले और बाद में देश को एकजुट करने में सराहनीय प्रयास किया। इऩ महान नेताओं में सरदार बल्लभ भाई पटेल का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। जब देश आजाद हुआ तो उस समय भारत में पांच सौ से ज्यादा रियासतें थीं। इन रियासतों को विलय करने की जिम्मेदारी देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को मिली। पटेल के अथक प्रयासों से अधिकतर रियासतों ने भारत में विलय की घोषणा कर दी लेकिन त्रावणकोर, भोपाल, हैदराबाद, जोधपुर और जूनागढ़ रियासतों के राजाओं ने भारत में विलय से इनकार कर दिया। अब सरदार पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये थे इनकों भारत में विलय के लिए कैसे मनाएं।

हिंदू बहुल भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्लाह खान थे जिनकी नजदीकी मुस्लिम लीग के नेताओं से थी। इस वजह से वे अपनी रियासत को पाकिस्तान में विलय करने के पक्ष में थे। जिसके कारण देश की आजादी के बाद भी यहां पर तिरंगा नहीं फहराया गया था। स्थानीय लोगों के विरोध के कारण हमीदुल्लाह के मंसूबे कामयाब नहीं हो सके और आखिरकार 1947 में ही भोपाल का विलय भारत में कर दिया गया। इसी तरह त्रावणकोर रियासत के दीवान सीपी रामास्वामी अय्यर भी पाकिस्तान में विलय करने को इच्छुक थे। यहां के लोगों ने अय्यर के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और उन पर इसको लेकर जानलेवा हमला भी हुआ। जनता के आगे झुकते हुए 30 जुलाई 1947 को त्रावणकोर को भारत का हिस्सा बना दिया गया।

जूनागढ़ के नवाब मोहम्मद महाबत खानजी तृतीय भी अपनी सियासत को पाकिस्तान में विलय करना चाहते थे। इसकी मुख्य वजह उनका मुस्लिम लीग के नेता शाह नवाज भुट्टो नवाब के करीबी होना बताया जाता है। जब जूनागढ़ को भारत में विलय के लिए दबाव बनाया जाने लगा तो यहां के नवाब पाकिस्तान भाग गए। सरकार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों से जनमत संग्रह हुआ जिसमें 91 प्रतिशत लोगों ने भारत में शामिल होने की इच्छा जताई। आखिरकार जूनागढ़ का भी विलय भारत में कर लिया गया।

इसी तरह जोधपुर और हैदराबाद रियासत को भी अथक परिश्रम के बाद भारत में विलय किया गया। जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह को मोहम्मद अली जिन्ना ने कराची के बंदरगाह पर पूर्ण नियंत्रण देने का लालच दिया था। इस वजह से वे जोधपुर को पाकिस्तान में विलय करना चाहते थे। जब इसकी जानकारी पटेल को हुई तो उन्होंने हनवंत सिंह को समझाया कि भारत में रहने से उन्हें क्या फायदे हैं। पटेल के प्रयासों से जोधपुर का विलय भारत में कर लिया गया। उधर हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली चाहते थे कि उन्हें अलग राष्ट्र घोषित किया जाए लेकिन पटेल की वजह से ऐसा संभव नहीं हो सका। आज हैदराबाद भी भारत का हिस्सा है।


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