
भारत में कई मंदिर हैं। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं, जो बाकी सभी आम मंदिरों से बेहद अलग हैं। वह इसलिए क्योंकि इन मंदिरों में या तो कोई चमत्कार होता है या फिर इन मंदिरों में स्पेशल तरह से पूजा की जाती है। आज हम आपको ऐसे ही एक शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। वैसे तो दुनियाभर में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। लेकिन ये मंदिर अपने आप में ही अलग है। वह इसलिए क्योंकि इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग की नहीं बल्कि उनके पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है।
इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां जो भी आता है, वह धनवान हो जाता है। सच्चे दिल से मांगी गई दुआ, यहां जरूर कबूल होती है। अचलगढ़ का अचलेश्वर महादेव मंदिर की खास बात यही है कि यहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे की खास पूजा की जाती है। वैसे इस जगह पर भगवान शिव के काफी प्राचीन मंदिर हैं जिस वजह से इस हिल स्टेशन को अर्धकाशी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार तो ये भी कहा जाता है कि बनारस अगर भगवान शिव की नगरी है, तो अचलगढ़ भगवान शंकर की उपनगरी। बता दें कि ये मंदिर अ चलेश्वर महादेव मंदिर माउंट आबू से लगभग 11 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में अचलगढ़ की पहाड़ियों पर किले के पास है।
ऐसा कहा जाता है कि जिस पहाड़ पर ये मंदिर बना हुआ है, वो पहाड़ भगवान शिव के अंगूठे की वजह से टिका हुआ है। इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि जिस दिन भगवान शिव के अंगूठा गायब हो जाएगा, उस दिन यह पहाड़ भी खत्म हो जाएगा। जिस जगह शिव जी का अंगूठा बना हुआ है, वहां खड्ढा बना हुआ है। इस खड्ढे को लेकर ये कहा जाता है कि इसमें कितना भी पानी डालो ये कभी भरता नहीं है। ऐसे में ये आज भी रहस्य है कि आखिर चढ़ाया हुआ पानी जाता किधर है। इस मंदिर के पास अचलगढ़ का किला भी है। हालांकि ये किला तो अब खंडहर बन चुका है। लेकिन कहते हैं कि इस किले को परमार राजवंश द्वारा बनवाया गया था। जिसके बाद साल 1452 में महाराणा कुम्भा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। फिर बाद में इसे अचलगढ़ नाम भी दिया।
Published on:
26 Feb 2018 12:40 pm
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