
First Parliament Session
नई दिल्ली। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 13 मई का दिन खासा अहमियत रखता है। ये दिन वर्ष 1952 का है, जब भारत की पहली संसद (First Parliament Session) का सत्र तय किया गया था। इसे आधुनिक भारतीय लोकतंत्र (Indian Democracy) की नीव के रूप में समझा जाता है। तमाम चुनौतियों के बाद आज भारतीय संविधान (Indian Constitution) और उसकी संसदीय व्यवस्था कायम है, जो उसकी कामयाबी को दर्शाती है।
17 करोड़ ने मताधिकार का किया उपयोग
भारतीय संविधान को अपनाने के बाद 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक पहला आम चुनाव कराया गया। इसमें 36 करोड़ की आबादी में 17 करोड़ लोगों ने अपने व्यस्क मताधिकार का उपयोग किया था।
शपथ ग्रहण समारोह
लोकसभा और राज्यसभा में 13 मई के दिन पहला सत्र बुलाया गया। इस दौरान शपथ ग्रहण समारोह हुआ। कार्यवाही सुबह 10:45 बजे शुरू हुई। शपथ दिलाने की शुरुआत से पहले स्पीकर मावलंकर ने कहा कि जहां तक संभव होगा, सभी सदस्यों के नाम सहीं ढंग से लूंगा, इसके बावजूद भी अगर कोई गलती हो तो माफ कर दिजीएगा।
पूरा नहीं हो सका स्पीकर का वादा
हालांकि पहले दिन सभी सांसद अपनी शपथ नहीं ले पाए थे। देश के पहले लोकसभा स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर की अगुवाई में पूरी संसदीय कार्यवाही का आयोजन हुआ। 27 फरवरी, 1956 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके निधन के बाद एमए अय्यंगर लोकसभा के स्पीकर बने। इससे पहले वे डिप्टी स्पीकर थे।
कांग्रेस को बहुमत
इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनसंघ, रिपब्लिकन पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भाग लिया था। संसद में उस दौरान 489 लोकसभा सीटें थीं। इसमें से 364 पर कांग्रेस विजय हुई थी। यह पहला मौका था जब कांग्रेस ने लोकसभा में बहुमत पाया था। इसके बाद 1952 में तीन अप्रैल को राज्यसभा और उसके बाद 17 अप्रैल को लोकसभा का गठन किया गया।
सांसदों की शिक्षा
बहुमत पाने वाली पार्टी कांग्रेस के बाद 37 निर्दलीय सांसद जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे। यहां पर बड़ी संख्या सांसद स्नातक थे। करीब 75 सांसद कानून में स्नातक और स्नातकोत्तर थे। कई सांसदों ने विदेशी डिग्री हासिल कर रखी थी।
Published on:
13 May 2021 08:40 am
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