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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में खुलासा,एक साल में वायु प्रदूषण से मर गए 42 लाख लोग

Published: Jun 21, 2018 04:34:57 pm

Submitted by:

Mohit sharma

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2016 में दुनिया भर में वायु प्रदूषण से 42 लाख लोग मौत की नींद सो चुके हैं।

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न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2016 में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर की वजह से दुनिया भर में 42 लाख लोगों की मौत हुई है। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 2018 की सतत विकास लक्ष्यों की रिपोर्ट लॉन्च की गई जिसमें बताया गया कि 2016 में 91 फीसदी शहरी आबादी जिस हवा में सांस ले रही थी, उसकी गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों पर खरी नहीं उतरती।
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शहरी झुग्गी में रह रहे 88.3 करोड़ लोग

न्यूज एजेंसी के अनुसार, तेजी से शहरीकरण के कारण दुनियाभर के कई शहरों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। 2000 और 2014 के बीच झुग्गियों में रहने वाली वैश्विक शहरी आबादी का अनुपात 28.4 प्रतिशत से घटकर 22.8 प्रतिशत हो गया, लेकिन झुग्गियों में रहने वाले लोगों की वास्तविक संख्या 80.7 करोड़ से बढ़कर 88.3 करोड़ हो गई।
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95 फीसदी आबादी ले रही दूषित हवा में सांस

इससे पहले आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि विश्व की 95 फीसदी आबादी दूषित हवा में सांस ले रही है और वैश्विक तौर पर प्रदूषण से होने वाली मौतों में 50 फीसदी के लिए चीन और भारत अकेले जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बोस्टन स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआई) की सालाना वैश्विक वायु स्थिति रपट के अनुसार, लंबे समय तक वायु प्रदूषण के प्रभाव में रहने वाला जोखिम 2016 में दुनिया भर में अनुमानित 61 लाख लोगों की मौत का कारण बना है।
प्रदूषण से मौतों पर शीर्ष में भारत

रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 लाख के आंकड़े के साथ भारत और चीन वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में शीर्ष पर हैं। चीन ने वायु प्रदूषण घटाने में कुछ प्रगति की थी, लेकिन भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में 2010 से वायु प्रदूषण के स्तर में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है।
धूम्रपान मौत का चौथा बड़ा कारण

वायु प्रदूषण विश्वस्तर पर उच्च रक्तचाप, कुपोषण और धूम्रपान के बाद स्वास्थ्य जोखिमों से होने वाली मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण था। एचईआई के उपाध्यक्ष बॉब ओकीफे के एक बयान में कहा “वायु प्रदूषण दुनिया भर में बड़ी संख्या में मौतों के लिए जिम्मेदार है, जो श्वांस रोग से पीड़ित लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर देता है, युवाओं और वृद्धों को अस्पताल भेज देता है, स्कूल और काम छूट जाते हैं और जल्दी मौत का कारण बन जाता है।”
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