
भारत ने परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल आंध्र प्रदेश के तट से 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता रखती है। इस मिसाइल को नौसेना की स्वदेशी आईएनएस अरिहंत-श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पर तैनात किया जाएगा।
और परीक्षण होंगे
मिसाइल के अभी और भी परीक्षण किए जाएंगे। उसके बाद ही इसे पनडुब्बियों पर तैनात किया जाएगा। फिलहाल नौसेना के पास आईएनएस अरिहंत ही एकमात्र ऐसी पनडुब्बी है, जो परमाणु क्षमता से लैस है।
स्वदेशी मिसाइलों में से एक
बता दें, इस सबमरीन (पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली) मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की ओर से तैयार किया गया है। मिसाइल का यह परीक्षण दिन में समुद्र के अंदर मौजूद प्लेटफॉर्म से किया गया। खास बात यह है कि के-4 पानी के नीचे चलने वाली मिसाइल है। यह उन दो स्वदेशी मिसाइलों में से एक है, जिन्हें समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसी ही अन्य पनडुब्बी बीओ-5 है, जो 700 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मौजूद अपने लक्ष्य पर हमला सकती है।
इसलिए कहते हैं बैलिस्टिक
जानकारों के अनुसार- जब किसी मिसाइल के साथ दिशा बताने वाला यंत्र लगाया जाता है, तो वह बैलिस्टिक मिसाइल बन जाती है। इस मिसाइल को जब छोड़ा जाता है या दागा जाता है तो यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर जाकर ही गिरती है। यह मिसाइलों में बड़ी मात्रा में विस्फोटक लेजाने की क्षमता होती है।
ये थी दुनिया की सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल
दुनिया की बात करें, तो सबसे पहली बलैस्टिक मिसाइल नाजी जर्मनी ने 1930 से 1940 के मध्य में बनाई थी। जिसे रॉकेट वैज्ञानिक वेन्हेर्र वॉन ब्राउन की देखरेख में तैयार किया गया था। इसे ए4 नाम दिया गया था। इसे वी-2 रॉकेट के नाम से भी जाना जाता है। इसका परीक्षण 3 अक्तूबर 1942 को हुआ था।
Updated on:
20 Jan 2020 02:51 pm
Published on:
20 Jan 2020 12:46 pm
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