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Unlock-1 : लॉकडाउन के बाद मनरेगा ने थामा प्रवासी मजदूरों का हाथ, रोजगार दर हुई 35.7 प्रतिशत

स्थानीय स्तर पर रोजगार के स्तर में हुआ भारी सुधार। Coronavirus Pandemic के समय में मनरेगा रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम साबित हुई। अभिषेक मनु सिंघवी ने मनरेगा के तहत कार्यदिवस को 200 दिन करने की मांग की।

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अभिषेक मनु सिंघवी ने मनरेगा के तहत कार्यदिवस को 200 दिन करने की मांग की।

नई दिल्ली। लॉकडाउन ( Lockdown) के बाद अनलॉक-1 के दौर में देश में रोजगार ( Employment ) की दर में तेजी से सुधार हुआ है। यह देश की अर्थव्यवस्था ( Economy of the Country ) के पटरी पर लौटने का संकेत है। 14 जून को यह दर 35.7 प्रतिशत थी।

पिछले तीन सप्ताह में बेरोजगारी ( Unemployment Rate ) की दर में 8.5% तक गिरना दर्शाता है लोगों को काम मिलने लगा है। रोजगार का बड़ा श्रेय मनरेगा ( MNREGA ) को जाता है। मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर प्रवासी मजदूरों को अब स्थानीय स्तर पर ही मिलने लगे हैं।

अहम बात यह है कि रोजगार का स्तर लॉकडाउन की पूर्व अवधि के बराबर आ चुका है। तमिलनाडु ने ग्रामीण अर्थव्यस्था के लिए अप्रैल महीने में बड़ा कदम उठाते हुए 56 तरह के कार्य मनरेगा में शुरू कर दिए थे।

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मई में मिले 73% ज्यादा रोजगार

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ( Union Ministry of Rural Development ) के आंकड़ों के मुताबिक मई, 2020 में औसतन 2.51 करोड़ लोगों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम मिला। यह पिछले साल के इसी महीने के औसत आंकड़े 1.45 करोड़ के मुकाबले 73 फीसदी अधिक है। इस प्रकार मई में मनरेगा के तहत रोजगार में 73.1 फीसदी का इजाफा हुआ।

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मनरेगा के 200 कार्यदिवस हों

दूसरी तरफ देश के अर्थशास्त्रियों की राय है महामारी से उपजे मौजूदा संकट में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा आय सृजन का एक जरिया है। लोगों को काम मिलेगा तो उनकी जेब में पैसे आएंगे और उनकी क्रय शक्ति भी बढ़ेगी जिससे मांग का सृजन होगा।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ( Congress spokesperson Abhishek Manu Singhvi ) ने भी सरकार से कहा मनरेगा कोरोना महामारी के समय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने का एक बड़ा माध्यम साबित हुई है। मनरेगा के तहत कार्य दिवस को 200 दिन कर दिया जाना चाहिए।

दरअसल, देखा जाए तो मई 2020 में श्रमिकों की वापसी के बाद रोजगार की मांग कुछ राज्यों में बहुधा बढ़ी। ये वे राज्य रहे जहां लाखों की संख्या में श्रमिकों की वापसी हुई।

राजस्थान में भी सुधरे हालात

राजस्थान की बात करें तो घर लौटे बेरोजगार मजदूरों को मनरेगा में काम मिला। आंकड़ों के अनुसार 9,983 ग्राम पंचायतों में 49 लाख से ज्यादा लोगों ने मनरेगा में काम किया। लेकिन अब मानसून में मनेरगा मजदूरोंs से क्या कार्य कराया जाएगा इसका निर्धारत करना जरूरी है।