अनलॉक वन ( Unlock-1 ) के दौरान केंद्र को विभिन्न राज्यों से जो जानकारी मिली हैं उसमें इसकी वजह छूट के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और सुरक्षात्मक उपायों के दिशानिर्देश पर अमल न हो पाना है।
दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लंबे समय तक लॉकडाउन ( Lockdown ) में नहीं रखा जा सकता है। ऐसा करना केंद्र और राज्य दोनों सरकार की मजबूरी है। लेकिन लॉकडाउन में छूट के दौरान संक्रमितों की संख्या चिंता का सबब बनती जा रही है। दूसरे देशों में जहां लॉकडाउन के बाद संख्या में कमी आई है।
Insensitivity : इलाज के लिए 14 घंटे तक भटकने के बाद गर्भवती के साथ मासूम की भी चली गई जान भारत के हालात विपरीत हैं। कोरोना की मृत्यु दर में कमी थोड़ी राहत देती है। दिल्ली-मुंबई ( Delhi-Mumbai ) जैसे बड़े शहरों के हालात अब भी काबू में नहीं आ पाना सबसे बड़ी चिंता का कारण है।
दरअसल, नए मामलों की संख्या दफ्तरों और बाजार खुलने से बढ़ी है। आर्थिक पैकेज ( Economic Package ) और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के चलते अनलॉक वन तो शुरू किया गया, लेकिन ऊपर से नीचे तक व्यापक कार्ययोजना न बन पाने के कारण यह स्थिति बनी है। हर सेक्टर के लिए दिशानिर्देश तय होने के बाद ही विभिन्न उपायों पर प्रभावी अमल किया जा सकता है।
केंद्र की ओर से लॉकडाउन में दी गई छूट से राज्य भी बहुत ज्यादा सख्ती नहीं कर पा रहे हैं लेकिन कुछ राज्यों का कहना है कि अगर केंद्र से कड़े निर्देश आएंगे तो उन्हें भी पालन करने में आसानी होगी। ऐसे में संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही कड़े दिशानिर्देश जारी कर सकती है। सोशल डिस्टेंसिंग ( Social Distancing ) , मास्क और सेनेटाइजर के उपयोग को अनिवार्य करने के लिए सख्ती बरती जा सकती है।